गुरुजी की जान बचाने के लिए बच्चों ने चैरिटी में इकट्ठा किये 33 हजार रूपये!
कोटद्वार 9 फरवरी 2018 (हि. डिस्कवर)
“साधू ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय, क्षार-क्षार को गेहि रहे थोथा देई उड़ाय” कहावत को चरितार्थ करने वाले ये गुरु शायद ठीक ऐसे ही रहे होंगे तभी तो इनके शिष्यों ने अपने गुरु की जान बचाने के लिए एक चैरिटी अभियान चलाकर गरीब गुरु जी को आर्थिक मदद के तौर पर 33 हजार चंदे की राशि भेंट की!
यह कौन कहता है कि आज के समाज में गुरु शिष्य की आदर्श परम्परा समाप्त हो चुकी है और अब गुरु गुरु गुड गोबर व शिष्य लुंड लोफर हो गए हैं! कोटद्वार जैसे छोटे से शहर में सरस्वती शिशु मंदिर के शिक्षक गोपाल दत्त गौड़ इन सभी बच्चों के पूर्व में अध्यापक रह चुके हैं जो विगत 4 बर्ष से किडनी खराब होने के कारण ड़ायलिसिस पर हैं. जब इन्हें पता चला कि उनके पूर्व गुरु जी की 90 प्रतिशत किडनी ख़राब हो चुकी है तब शिशु मंदिर से निकलकर अब बड़ी स्कूलों व कालेज में पहुँच चुके इन छात्रों ने एक युक्ति सोची कि क्यों न हम अपनी पॉकेट मनी से अपने गुरु जी की सहायता करें लेकिन जब घर जाकर इन्होने पाया कि गुरूजी का परिवार बेहद गरीबी में जीवन यापन करने को मजबूर है तब तरुण इष्टवाल द्वारा एक चैरिटी अभियान की नींव रखी गयी जिसमें महादेव ध्यानी, तरुण के बड़े भाई वरुण इष्टवाल, सचिन रावत, गौरव केश्त्वाल, सौरभ बिष्ट व अमन रावत इत्यादि ने मिलकर अपने गुरु जी की प्राण रक्षा के लिए चैरिटी जोड़ना शुरू कर दिया!
अथक परिश्रम करते ये छात्र जाने चंदे के लिए कितने लोगों के आगे अपने गुरूजी की प्राण रक्षा की भीख मांगते रहे होंगे! जाने कितनों की दुत्कार सही होगी तो कितनों ने प्रसन्नता व्यक्त की होगी! आखिर ये बच्चे अपने गुरु जी के लिए 33 हजार रूपये जुटाने में सफल हुए और यह राशि समाचार लिखने के लगभग 4:30 घंटे पूर्व इन छात्रों ने अपने गुरु के घर जाकर उन्हें सौंपी!
वरुण इष्टवाल से प्राप्त जानकारी में उसने बताया कि पहले उनके गुरु जी का इलाज देहरादून से चल रहा था लेकिन आर्थिक तंगी के कारण देहरादून के डाक्टर्स ने उनका इलाज करने से मना कर दिया जिसके फलस्वरूप अब उन्हें कोटद्वार के तडियाल चौक स्थित सहारा हॉस्पिटल से डायलिसिस करवाना पड़ रहा है! यहीं हम रुके नहीं हमने गुरु जी का ऑनलाइन एम्स हॉस्पिटल दिल्ली में आवेदन करवाया जिसमें उन्हें आगामी 23 फरवरी की तारीख मिली हुई है!
90 प्रतिशत किडनी के काम करने से बंद होने के बाद अब गोपाल दत्त गौड़ की श्रीमती अपने सुहाग की प्राण रक्षा के लिए अपनी एक किडनी देने की बात कर रही हैं! इन छात्रों जिन्हें कभी गोपाल दत्त गौड़ ने पढ़ाया होगा कि यह चैरिटी कितने दिन और अभी अपने गुरु जी की प्राण रक्षा कर पाएगी कह पाना सम्भव नहीं है लेकिन इतना जरुर है कि गुरु जी को इस बात पर बड़ा अभिमान हो रहा है कि उनकी दी हुई शिक्षा ब्यर्थ नहीं गयी क्योंकि आज इस छात्र जीवन में इन्होने एक शुरुआत कर दी है आगे चलकर यही दानवीर बनकर जाने समाज को कितने सहायक सिद्ध होंगे! ऐसी मिशालें बमुश्किल मिलती हैं लेकिन यह सचमुच गौरान्वित करने वाले क्षण हम सबके लिए हैं और उन विद्यालयों के लिए भी जो ऐसे आदर्शवान छात्रों को घड़े की तरह पाथ-पाथकर इस योग्य बनाते हैं!
शिक्षा विभाग ही नहीं बल्कि उत्तराखंड सरकार को भी ऐसे नौनिहालों का संज्ञान लेकर इन्हें प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए क्योंकि कल यही देश और समाज के लिए भाग्य विधाता साबित हो सकते हैं! आइये ऐसे ही प्रयास हम भी मिलकर करें ताकि भीड़ में भी हम सोने सी दमक के साथ दिखाई पड़ें!