गढवाळी भाषा मानकीकरण पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन।

देहरादून 22 जून 2019 (हि. डिस्कवर)

गढवाळी भाषा उच्चारण शैली के फर्क को एक जैसा बनाये रखने के लियर दून यूनिवर्सिटी में एक कार्यशाला का तीन दिवसीय आयोजन किया गया जिसमें 35 लेखक, साहित्यकार व भाषाविदों ने शिरकत की।

भाषाविद्ध डॉ. जयंती प्रसाद नौटियाल ने भाषा मानक रूप से तय करने से पहले कुछ मार्गदर्शी सिद्धांत निश्चय करने की बात करते हुए कहा कि क्यों न हम भी हिंदी भाषा में मेरठ व उसके आस पास की भाषा को आधार मानकर हिंदी समावित की गई हम गढ़वाल भाषा में श्रीनगरी गढवाळी को आधार बनाये जिसमें गढ़वाल क्षेत्र के सभी इलाकों में प्रयुक्त होने वाले शब्द पर्यायवाची बने रहेंगे। गढ़वाळी मूल प्रकृति को बचाने के लिए हमें सांस्कृतिक शब्द बचाये रखने होंगे।

उन्होंने कहा कि शब्द के अंत में स्वर बीजंन विवाद स्थिति पर स्वर को महत्व दिया जाना चाहिए। उच्चारण के समय कहीं जरूरत हो तो वह नई ध्वनि चिह्न अपनाने पड़ेंगे जैसे कठिन को आसान ध्वनि चिह्न में बदलने का प्रयास करना जरूरी है या फिर हम उस ओर बढ़ने का प्रयास करना होगा।

कार्यशाला में सर्वनाम, सबंध कारक प्रयोग, विशेषण, क्रिया विशेषण और संज्ञा 400 व्यावहारिक शब्दों पर गंभीरता व बारीकियों के साथ छंटनी हो और उच्चारण मानक निर्धारित करे गए। वहीं क्रिया भूत, वर्तमान और भविष्य के रूप तय किये गए, साथ ही यह भी तय किया गया कि संज्ञा और क्रिया मूल पदों में इकारान्त शब्द प्रयोग हो जैसे अपणी को अपनी बोला जा सकता है। वहीं उकारान्त और ओकारान्त दोनो सजीले शब्दों को अपने हिसाब से लिख सकते हैं जैसे-(मेरु/मेरो)।

तीन दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिवस यह सर्व सम्मति से तय करते हुए सम्बन्ध कारक में का, की, कु को प्रयोग जहां जरुरी हो तब किया जाय। (जैसे- बाबौ कोट, भैज्यो बट्वा, भाषै जाणकारि, भाषौ इत्यास इत्यादि। लिंग भेद पर पुल्लिंग और स्त्री लिंग कख जाणू अर कख जाणी अलग-अलग होगा। यह भी तय हुआ कि श, स, ष तीनों का प्रयोग सुबिधानुसार किया जा सकता है।
डा. अचलानंद जखमोला की अध्यक्षता, लोकेश नवानी और डा. जयन्ती प्रसाद नौटियाल के निर्देशन में डा. नंदकिशोर ढौंडियाल , डा. जगदम्बा कोटनाला, वीरेन्द्र डंगवाल ‘पार्थ’, डा. सुरेश ममगांई, डा. सत्यानंद बडोनी, मदन मोहन डुकलान, गिरीश सुन्दरियाल, दिनेश ध्यानी, ओम बधाणी, संदीप रावत , डा. प्रीतम अपछ्याण, श्रीमती नीता कुकरेती, बीना कण्डारी, सुमित्रा जुगलान, रमाकान्त बेंजवाल, अरविंद पुरोहित , देवेन्द्र जोशी, सुरेन्द भट्ट, देवेश आदमी, ओम प्रकाश सेमवाल, शान्ति प्रकाश जिज्ञासु, धनेश कोठारी, अरविंद प्रकृति प्रेमी, धर्मेन्द्र नेगी, डा. वीरेन्द्र बर्त्वाल, हरीश कण्डवाल ’मनखी’ नेे अपनी उपस्थिति दर्ज की जबकि कार्यक्रम का संचालन श्रीमती बीना बेंजवाल अर गणेश खुगशाल गणी किया।

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