गढवाल कमिश्नर ने भेजा ऑफिसर इन स्पेशल ड्यूटी!(आराकोट-बंगाण आपदा)
(मनोज इष्टवाल)

वह अफसर तब भी कमाल का था और आज भी कमाल का है! वह इस क्षेत्र के चप्पे-चप्पे से इसलिए वाफिक है क्योंकि उसने उपजिलाधिकारी रहते हुए इस क्षेत्र के हर एक गाँव को अपने क़दमों से नापा है व जनता के बेहद नजदीकी बने रहने का भी सुख भोगा है! विगत शनिवार को ही तो फिर उन्होंने बतौर “ऑफिसर इन स्पेशल ड्यूटी” के रूप में एक हफ्ते के लिए इस आपदाग्रस्त क्षेत्र का कार्यभार सम्भाला! जहाँ सड़कें, ग्रामीण रास्ते सब स्वाहा हैं फिर भी वह पांच दिन में 60 किमी. के आस-पास विभिन्न गाँवों में पहुंचा और वहां की सच्चाई को जिला प्रशासन, गढवाल कमिश्नर से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचाया!

यह “ऑफिसर इन स्पेशल ड्यूटी” पूर्व में उत्तरकाशी जनपद के पुरोला क्षेत्र में बतौर उपजिलाधिकारी अपना कार्यभार देख चुके हैं! इस व्यक्ति की व्यक्तिगत कार्यशैली का मैं भी मुरीद रहा हूँ क्योंकि ऐसे अफसर बिरले ही जन्म लेते हैं जो जनता से निजी संवाद बनाए रखने में सफल होते हैं! फिर यह तो ऐसा इलाका हुआ जहाँ कोई भी एसडीएम पोस्टिंग पर नहीं आना चाहता और यही कारण भी है कि पुरोला व त्यूनी तहसील में अभी किसी भी उपजिलाधिकारी की तैनाती नहीं हुई है! अफसरों का मानना है कि यहाँ नेतागिरी है इसलिए यहाँ काम करने की जगह पनिशमेंट भोगना ज्यादा हो जाता है क्योंकि हर छुटभैया नेता, ठेकेदार के मनमाफिक अगर काम नहीं हुआ तो समझो आपकी खैर नहीं!
शैलेन्द्र सिंह नेगी (ऑफिसर इन स्पेशल ड्यूटी) शायद इस इलाके में सफल इसलिए ज्यादा रहे हैं क्योंकि वे मूलत: उत्तराखंड के हैं व जानते हैं कि यहाँ के ग्रामीणों से जमीनी संवाद बनाए रखना ज्यादा जरुरी है! कुछ दिन पूर्व ही सोशल साईटस पर व प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया माध्यमों से उत्तरकाशी जनपद के आराकोट-बंगाण क्षेत्र में आई आपदा के राहत कार्यों को लेकर जनता में आक्रोश की खबरें सामने आने लगी थी, शायद इसी कारण गढ़वाल कमिश्नर दलीप जावलकर ने शैलेन्द्र नेगी को ब्याहन मात्र एक हफ्ते की तैनाती पर हरिद्वार से भेजा! शैलेन्द्र सिंह नेगी बताते हैं कि यह मात्र कुछ लोगों द्वारा खड़ा किया हुआ होव्वा हो सकता है क्योंकि जब उन्होंने क्षेत्रीय भ्रमण किया तब यहाँ के लोगों ने उनके पास जिलाधिकारी आशीष चौहान की खुलकर प्रशंसा की व बताया कि वह तो क्षेत्र में हर उस जगह पहुँच रहे हैं जहाँ आपदा आई है! उन्होंने कहा कि एक जिलाधिकारी सडक खोदने वाले लोडर से गाँव -गाँव पहुंचकर जन संवाद कायम कर रहा है तो इससे ज्यादा और किया भी क्या जा सकता है! उन्होंने बताया कि वे विगत शनिवार को आराकोट पहुंचे जहाँ से उन्होंने अगली सुबह यानी रविवार से ही कार्य शुरू कर दिया था ! आराकोट से मलाना, तिकोची, बरनाला, दगोली, माकुड़ी, चिंवा, जापटा, बलावट, मौंडा, खरख्वाडी व थापली इत्यादि गाँवों का भ्रमण कर वे हर यथास्थिति से दो चार हुए हैं!

उन्होंने बताया कि वे जिस गाँव भी गए वहां पूर्व में तहसीलदार, दो पटवारी, कृषि विभागकर्मी व अन्य कर्मी पहले ही पहुँचकर अपनी अपनी तरफ से हर कार्यवाही कर चुके हैं! उन्होंने बताया कि बीच बीच में यह बात उठ रही थी कि यहाँ राशन नहीं है लोगों के भूखों मरने की नौबत्त है यह सरासर गलत अफवाह फैलाई गयी क्योंकि यहाँ हर व्यक्ति साधन सम्पन्न है और हर एक का महीनों का राशन जमा रहता है! जिन लोगों की ऐसी नौबत्त रही वह पहले ही तिकोची के राहत कैम्प में रखे गए हैं, फिर भी प्रशासन द्वारा हर गाँव तक जितना सम्भव हो सका मदद पहुंचाई गयी और अभी भी पहुंचाई जा रही है! यहाँ लोगों को अगर किसी बात की चिंता है तो वह है सडक मार्ग से जुड़ जाने की क्योंकि उनका लाखों का सेब खराब हो रहा है!

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि तिकोची में भारी नुक्सान हुआ है वहां के सरकारी स्कूल भवन सब बह गए हैं! माकुडी में 5 लोग मारे गए, जापटा गाँव के धर्म सिंह व मोहन सिंह को सबसे ज्यादा नुक्सान उठाना पडा है! पूर्व बीडीसी मेम्बर कुशाल सिंह के 600 पेड़ों का सेबों का पूरा बागीचा बह गया है जिसमें लाखों के सेब लगे होने का अनुमान बताया जा रहा है! उन्होने क्षेत्रीय जनता के निजी प्र्यासों की भी खुलेमन से सराहना करते हुए कहा कि यहाँ के लोग जीवट हैं व परिस्थिति से लड़ना बखूबी जानते हैं! उन्हें यह भी पता है कि ऐसी स्थिति में सिर्फ प्रशासन पर दोष मढना ठीक नहीं है! वे जहाँ भी गए सबने राहत कार्यों की खुलेमन तारीफ़ की व जिलाधिकारी आशीष चौहान की कार्यशैली को पसंद किया है!
शैलेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि ऐसा कोई मामला उनके सामने नहीं आया कि किसी की गुमसुदगी की घटना हो! उन्होंने कुल 18 लोगों के मारे जाने की बात कही और साथ ही कहा कि माकुड़ी, आराकोट व टिकोची के लोग अगर उस रात सतर्क नहीं रहते व अपने घरों को छोड़कर भागते नहीं तो बड़ी जनहानि हो सकती थी इसमें कोई दो राय नहीं!
बहरहाल एक हफ्ते के लिए यहाँ अपनी ड्यूटी निभाने आये शैलेन्द्र सिंह नेगी ने अपने पांच दिनों के भ्रमण के दौरान लगभग 60 किमी. के आस पास पैदल चलकर जो जनसंवाद किया उससे ग्रामीणों में राहत कार्यों के प्रति संतोष की झलक यह साबित तो करती ही है कि कुछ बात तो है इस आला अधिकारी में!