गढवाली साहित्यकार-पत्रकार पूरन पंत पथिक दिवंगत!
गढवाली साहित्यकार-पत्रकार पूरन पंत पथिक दिवंगत!
वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र नाथ कौशिक की कलम से-
गढवालै धै के संपादक व साहित्यकार पूरण पंत पथिक जी नही रहेे । वे ६७ वर्ष के थे । मेरे पड़ोसी और रिश्तेदार भी लेकिन सूचना अनुपम भाई की पोस्ट से । दुखद से भी ज्यादा अफसोसनाक। कई सालों से मुंह के कैंसर और आपरेशनों से जूझ रहे पंत जी से उनके केदारपुर गांव सिद्धेश्वर मंदिर के निकट आवास में महीना-डेढ महीना पहले सपत्नीक मिल कर आया था।मेरी पत्नी के जीजा और मेरे मित्र ।बेहद कष्ट में थे,सालों से ।पांचेक साल से तरल आहार,नींद की और पेन किलर की गोलियों पर जीवित थे। उनकी खुशमिजाज पत्नी सरस्वती विद्या मंदिर की शिक्षिका प्रभा जी ने तो सहधर्मिणी के रुप में जीवनभर तपस्या ही की।गढवाली के वरिष्ठतम पत्रकार और कवि-लेखक पंत जी ने मेरी पत्नी और मेरी बेटियों से कभी अपनी अप्रसन्नता छुपाई नहीं कि उन्हें गढवाली बोलने में रुचि नहीं। वे अविभाजित उत्तर प्रदेश में भाषा विभाग से सम्मानित गढवाली लेखक थे। तब कानपुर में रहते थे। प्रथम परिचय में. उन्होंने मुझे अपना आउट आफ प्रिंट गढवाली उपन्यास’ब्वाडा’पढने को दिया था जिसकी उनके पास भी संभवतः वह आखिरी प्रति थी ।