"" खुल गये "श्री हरि बदरी नाथ के कपाट "" यह रही कपाट खुलने की प्रक्रिया!

वरिष्ठ पत्रकार क्रान्ति भट्ट ने बदरीनाथ धाम से सम्बन्धित एक सम्पूर्ण श्रृंखला को अपनी कलम में उकेरकर जन साधारण तक पहुंचाने का जो अथक प्रयास किया है वह हमारी वैदिक व सनातनी परम्परा के लिए एक मील का पत्थर है. हिमालयन डिस्कवर उनके श्रृंखलाबद्ध इस प्रयास को आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है आपका सहयोग हमें सबलता देगा!
“” खुल गये “श्री हरि बदरी नाथ के कपाट “”

क्रान्ति भट्ट
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साक्षात भू बैकुंठ श्री बदरीनाथ के कपाट शनिवार 6 मई को ब्रह्म मुहुर्त पर 4.15 पर वेद श्रृचाओं की स्वर लहरियों के साथ खुले। भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति प्रवण मुखर्जी समेत लगभग 20 हजारों ने भगवान के कपाट खुलने पर प्रथम दर्शन किये ।राष्ट्रपति प्रवण मुखर्जी ऐसे पहले राष्ट्रपति है जिन्होंने भगवान बदरी विशाल के कपाट खुलने के दर्शन किये । हालांकि वे पांवे राष्ट्रपति हैं जिन्होंने भगवान बदरी विशाल के दर्शन किये हैं अब तक पूर्व राष्ट्रपति डा राजेन्द्र प्रसाद . नीलम संजीव रेडडी . आर वेंकट रमण . व प्रतिभा पाटिल भी भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर चुकी हैं
** यह रही कपाट। खुलने की प्रक्रिया

कपाट प्रात: 4.15 पर खुले ।उससे पहले रात्रि 12 बजे से ही श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए लाइन मे़ लग गये थे । भगवन के कपाट खुलने की प्रतीक्षा की खुशी में सिंह द्वार के बाहर सेना के बैंड की मधुर ध्वनि बजने लगी माणा और बामणी गांव की महिलाओं समेत देश विदेश से आये भक्त झूमने लगे। सि़हद्वार की सीढि़यो के दोनों ओर सस्वर संस्कृत महा विध्यायक के छात्र स्वति बाचन और शान्ति पाठ कर रहे थे । प्रकाश की सुन्दर भी अलौकिक थी । सबसे पहले मुख्य द्वार की पूजा हुयी । मंत्र पढे गये । फिर गर्भ ग्रह के कपाट खुले । सबसे पहले मुख्य रावल जी ने मंदिर के अन्दर प्रवेश किया । भगवान के दिब्य विग्रह को साष्टांग प्रणाम किया । उसके बाद शीतकाल में अब तक जिस कम्बल में भगवन की मूर्ति कै रखा गया था धीरे धीरे उस वस्त्र को उतारा गया और भगवान का ” श्री विग्रह ” प्रकट हुआ जिसे देखने के लिए आंखे तरसती हैं । भगवान का यह दिब्य श्री विग्रह देखते ही सबके कंठ से ” जय बदरी विशाल ” उदघोष गूंज उठा धर्मधिकारियों ने पवित्र मंत्र पढे । और उसके बाद सभी भक्तों ने भगवान के दर्शन किये मंदिर के अंदर जल रही अखंड ज्योति के दर्शन किये ।जब भगवान के कपाट खुले तो सबसे पहले मां लक्ष्मी जी का विग्रह जो शीतकाल में कपट बंद होनै पर भगवान के सानिध्य में था उसे आदर पूर्वक लक्ष्मी मंदिर में लाया गया । फिर मंदिर में उद्धव जी और फिर कुबेर जी का *विग्रह गर्भ में विराजित किया । हजारों भक्तों ने भगवान के दर्शन किये

“” राष्ट्रपति का आगमन
” राष्ट्रपति प्रवण मुखर्जी सेना के विशेष विमान से 8.25 पर माणा मे़ बने सेना के हैली पैड पर उतरे उनके साथ राज्य पाल के के पाल मुख्य मंत्री त्रिवेन्द्र रावत भी थे हैलीपैड पर सभी का स्वागत किया गया वहाँ से कारों कू काफिले के साथ महामहिम साकेत चौराहे तक आये । यहाँ से पैदल ही मन्दिर के लिए निकले हालांकि उनके लिए पालकी की ब्यवस्था थी । पर उन्होने पैदल ही मन्दिर जाने का निर्णय लिया 8. 32 पर मन्दिर में प्रवेश किया 35 मिनट तक पूजा अर्चना की । 9.2 पर मंदिर से बाहर आये सिहद्वार पर मंदिर समिति ने उन्हें बदरी केदार कलेऊ और सोविनियर भेट किया । रावल जी ने प्रसाद दिया । इसके उपरांत वे अतिथि ग्रह में आये वहाँ पर नाश्ता किया । मुख्य मंत्री . राज्यपाल . पर्यटन मंत्री मन्दिर अधिकारियों विधायक गणो से जानकारी ली । फिर बाहर आकर सिंह द्वार पर फोटो सेशन हुआ । उसके बाद पैदल ही वापस साकेट तिराहे तक आये यहाँ से कारो के काफिले के साथ सेना के हैली पैड पहुंचे और सेना के उसी विशेष विमान से वापस निकले उनके वापस जाने के बाद फिर हजारों भक्तों ने भगवान के दर्शन किये ।
 

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