खनन पर रोक कांग्रेस को नागवार!

खनन पर रोक कांग्रेस को नागवार! 
देहरादून 30 मार्चः
उच्च न्यायालय नैनीताल ने राज्य में हो रहे खनन पर दाखिल जनहित याचिका के आधार पर चार महीने तक राज्य में सभी प्रकार के खनन पर पूर्ण रूप से रोक लगाने का निर्णय राज्य सरकार की अदूरदर्षिता तथा न्यायालय में अपना पक्ष मजबूती से न रखने का परिचायक है। उपरोक्त बयान जारी करते हुए प्रदेष कांग्रेस  कमेटी के उपाध्यक्ष जोत सिह बिश्ट ने कहा कि जनहित याचिका पर राज्य सरकार ने अपना पक्ष मजबूती से नही रखा गया जिससे न्यायालय को इस प्रकार का निर्णय लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि इस चार माह की अवधि के पष्चात लगभग ढाई महीने तक वर्शात के दौरान खनन वैसे भी प्रतिबन्धित रहता है तथा उत्तराखण्ड जैसे विकट भौगोलिक परिवेष वाले राज्य में यदि इतनी लम्बी अवधि के लिए खनन गतिविधियां बंद होंगी तो इसके अनेक खामियाजे राज्य को भुगतने पडेंगे। न्यायालय के आदेष के 24 घण्टे की अवधि में देहरादून सहित राज्य के सभी हिस्सों में खनन सामग्री के दामों में दोगुनी से अधिक वृद्धि सरकारी तथा गैर सरकारी निर्माण कार्यों की लागत को बढ़ाने का काम करने के साथ-साथ राज्य सरकार को राजस्व के रूप में मिलने वाली एक बड़ी रकम का नुकसान भी उठाना पड़ेगा।
बिश्ट ने कहा कि उत्तराखण्ड में मार्च माह से लेकर जुलाई माह तक ही निर्माण कार्य द्रुत गति से करने के लिए परिस्थितियां अनुकूल रहती हैं, इसके उपरान्त वर्शात एवं सर्दियों में पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण कार्य करना कठिन होता है और विकास योजनाओं के निर्माण के लिए यदि इन चार महीनों में खनन सामग्री उपलब्ध नहीं होती है तो राज्य में विकास का पहिया थमने के साथ ही न केवल निर्माण कार्यों की लागत बढ़ने का नुकसान उठाना पड़ेगा अपितु खनन एवं निर्माण कार्यों से जुडे मजदूर तबके को भी बेरोजगार होना पड़ेगा। बिश्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने अपनी पारी की षुरूआत बिजली की दरों में बढ़ोतरी के साथ-साथ सीवरेज एवं पेयजल की दरों में वृद्धि की तैयारी से की है जिसका सीधा खामियाजा पहले से मंहगाई की मार झेल रही आम जनता को भुगतना पड़ेगा। बिजली की दरों में वृद्धि तथा खनन पर रोक लगाने से लोगों को मंहगाई की मार का तोहफा उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार दे रही है। क्या जनता ने इसी मंहगाई की मार को झेलने के लिए भाजपा को प्रचण्ड बहुमत दिया था? क्या यही हैं भाजपा के अच्छे दिन?

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