क्षेत्रीय समस्याओं का विधान सभा सत्र के पटल पर अम्बार लगाने वाले पहले विधायक बने मनोज रावत!

क्षेत्रीय समस्याओं का विधान सभा सत्र के पटल पर अम्बार लगाने वाले पहले विधायक बने मनोज रावत! किया कीर्तिमान स्थापित !
देहरादून मार्च 27 ! (हि. डिस्कवर)
विधायक बने अभी मात्र 8 दिन ही हुए हैं और विधान सभा के 4 माह के लिए लेखा अनुदान सत्र में महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण पर बोलते हुए जब केदारनाथ क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक मनोज रावत ने विधान सभा कार्यसूची में अपने विधान सभा क्षेत्र की 163 समस्याओं को उजागर किया तब वे उत्तराखंड के पहले ऐसे विधायक बन गए जिन्होंने पहली बार चुनकर आने पर मात्र 8 दिन में इतने सामाजिक, आर्थिक राजनैतिक, लोक समाज से जुडी जनसमस्याओं को उजागर किया. यह गाहे-बगाहे एक कीर्तिमान बन गया जिस से शायद विधायक मनोज रावत भी अभिज्ञ हों.

राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विधायक मनोज रावत ने विधान सभा कार्यसूची में प्रस्ताव के अंत में निम्नलिखित जोड़ दिया जाय पर कहा कि “किन्तु खेद है कि माननीय राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में निम्नलिखित का कोई उल्लेख नहीं किया”!
मनोज रावत ने प्रथम संशोधन  उठाते हुए लिखा कि- रूद्रप्रयाग और चमोली के समस्त भू-भाग जिसे पूर्व में “मल्या-मुल्क” के नाम से जाना जाता था, को पिछड़ा क्षेत्र घोषित किये जाने…
उनका 163 नम्बर का संशोधन  त्रिजुगी नारायण मेले को राज्य स्तरीय मेले के रूप में विकसित करने ! का था
विधायक मनोज रावत ने सदन में खनन का ज्वलंत मुद्दा भी उठाया और कहा कि अगली बार वे जब सदन में बोलेंगे तो उनसब सफ़ेदपोशों के आंकड़ों को साथ लेकर आयेंगे जो अवैध खनन करते आ रहे हैं.
मनोज रावत द्वारा सदन पटल पर रखे गए सभी मुद्दे छायाप्रति के रूप में संलग्न है. जो साबित करते हैं कि मात्र 8 दिन के  विधायक द्वारा 163 मुद्दों को सदन में रखना अपने आप में एक कीर्तिमान है.

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