क्या सबकुछ ठीक ठाक चल रहा है शिक्षा विभाग में! अगर हाँ तो एक जूनियर को चार चार महत्वपूर्ण दायित्व क्यों?
देहरादून 17 नवम्बर 2017 (हि. डिस्कवर)
उत्तराखंड शैक्षिक (सामान्य शिक्षा संवर्ग) में मौलिक रूप से नियुक्ति श्रेणी “क” एवं “ख” के अधिकारियों की वरिष्ठता सूची पर यदि आपकी नजर पड़ेगी तो आप चौंक पड़ेंगे कि भला ऐसा कैसे संभव हो सकता है! लेकिन यह उत्तराखंड है यहाँ सब कुछ सम्भव है. जीरो टोलरेंस की इस सरकार की कार्यप्रणाली में इतने बड़े लूप-होल्स दिखने को मिल रहे हैं जिसकी कल्पना ही नहीं की जा सकती. अगर ऐसा नहीं होता तो शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग में एक जूनियर अधिकारी को अपने से 25 सीनियर अधिकारियों के ऊपर तबज्जो देकर विभाग ने तीन-तीन महत्वपूर्ण दायित्व दिए हैं.
वरिष्ठता सूची में 26 वें नम्बर के अधिकारी मुकुल कुमार सती को प्रदेश के शिक्षा महकमें ने अपने वरिष्ठों से भी अग्रिम पंक्ति में खड़ा कर उन्हें चार-चार महत्वपूर्ण विभाग सौंपे हुए हैं जिनमें एपीडी रमसा, एपीपी एसएसए, एडी माध्यमिक कुमाऊ मंडल व एडी बेसिक कुमाऊ मंडल हैं. ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि क्या इनसे अग्रिम पंक्ति के इनके वरिष्ठ क्या विभाग में नकारा बैठे हैं? क्योंकि एक ही व्यक्ति को शिक्षा विभाग के चार-चार महत्वपूर्ण दायित्व दिए गए हैं जबकि उन्हीं की तरह कई काबिल अफसर विभाग की कुर्सियों पर धूल फांक फांक रहे हैं.
शिक्षा विभाग के वरिष्ठता क्रम में डॉ. राकेश कुंवर पहले स्थान पर हैं वहीँ सीमा जौनसारी दूसरे व वन्दना गबर्याल तीसरे नम्बर पर आती हैं ! ऐसे में प्रश्न यह भी उठता है कि ऐसा अचानक क्या हुआ कि ईमानदार व कर्मठ समझी जाने वाली सीमा जौनसारी को निदेशक प्राथमिक शिक्षा के दायित्व से मुक्त कर राज्य शैक्षिक प्रबन्धन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमेट) का दायित्व सौंपा गया. ऐसा ही पूर्व में डॉ. राकेश कुंवर के साथ भी हुआ और उनकी उन्हें एसएसए से सीमेट भेज दिया गया था जबकि उन्होंने उस दौर में एसएसए को स्थापित करने में बेहद इमानदारी के साथ अपने दायित्व निर्वहन किये थे!
अब अंगुली शिक्षा मंत्री की कार्यप्रणाली पर भी उठती है कि आखिर उन्हें यह सब क्यों नहीं दिखाई दे रहा है कि वरिष्ठता क्रम में 25 वरिष्ठों को नजरअंदाज कर मुकुल सती को चार-चार महत्वपूर्ण दायित्व सौंपने के पीछे उनकी क्या मंशा है. यहाँ मुकुल सती के कार्य कुशलता पर शक नहीं किया जा सकता लेकिन यह आश्चर्यजनक अवश्य है कि एक व्यक्ति रमसा, एसएसए व कुमाऊ मंडल के जूनियर व सीनियर सभी स्कूलों का दायित्व भला अकेले कैसे निर्वहन कर रहा होगा!
विभाग में आज भी कई ऐसे काबिल अफसर हैं जिनके दामन में दूर दूर तक छींटे नहीं दिखाई देते और वे लोग इस जीरो टोलरेंस नाम की सरकार के मुखौटे हो सकते थे लेकिन लगता नहीं है कि शैक्षिक ढर्रा अब भी सुधरने का नाम नहीं लेगा क्योंकि जिस तरह विभाग की उपेक्षाओं में यहाँ के काबिल अफसर चुप्पी साधे कोने तलाशे बैठे हैं उस से तो यही लगता है!
I’m a Retd Principal from G.I.C.Gangori uttarkashi on 30/06/2006. New G.O.74 dated 01 March 2009 allowed to all Teachers (except who retired between 01/01/2006 and 31/03/2009)notional incremental benefit on fixation of Pay on 01/01/2006.This forced the sufferers to move to the H’nble High Court and the Supreme Court and they waived this disparity.Our Government also issued a new GO98/xxiv – nawsrijit/ 15-01(15)/2015 dated 24 the July 2017 allowed the benefit of increased pay to one and all from 1/1/2006 but actual benefit from 1 St April 2009 like previous G.O.I being an appealate to to latest writ of the H’nble High Court, I applied to the Principal of the college by regd.Post from where I retired with 4 sets of requisite papers on 20/09/2017.He was to check these papers nd after receiving my service book from the office of the chief education Officer, uttarkashi and issue a fresh order revising my pay from 1/1/2006 nd consequently my pension to be paid from 1 st April 2009. But he took more that one nd half month to do it( efficiency) nd forwarded it to the wrong Authority Director of Accounts and Entitlement instead of Director of Treasuries and Pension moreover a copy of it not communicated to me nd thirdly it was posted on 9/11/2017 in the village post office of Gangori instead of uttarkashi post office just 4 kms away from where most of the staff come to serve.This is the way of working of a Principal of a Intermediate College on the matter finalised by the H’nble court.This refects the whole Department.
यकीनन बेहद निंदनीय।