क्या यही चाक चौबंद ब्यवस्था है चार धाम के दो धामों के जिलाधिकारी कार्यालय की!
क्या यही चाक चौबंद ब्यवस्था है चार धाम के दो धामों के जिलाधिकारी कार्यालय की!
(मनोज इष्टवाल)
चार धाम यात्रा बिलकुल मुंह बाये खडी है और तो और यमुनोत्री, गंगोत्री राज मार्ग को जोड़ता जिला उत्तरकाशी बर्षों से करोड़ों रूपये यात्रा व्यय के रूप में खर्चा भी करता है.
लेकिन क्या सचमुच जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर विराजमान इन फटेहाल बेंचों की तरह जिन में बैठकर के लिए न सिर्फ जिला का जनमानस बल्कि देश और विदेश के धार्मिक पर्यटक जिलाधिकारी से मिलने का समय लेते हैं या फिर उनसे मुलाक़ात करते हैं.
क्या कभी जिला प्रशासन ने इस बात की जानकारी जिले के मालिक तक नहीं पहुंचाई होगी कि जिन पर देश का तमाम जनमानस बैठकर आपका इन्तजार करता है उस बेंच की हालत कब और कितने साल से ऐसी बनी हुई है.
क्या वरुणावत पर सीमेंट की सिलाई की तरह इस बेंच पर भी फट्टा ठोककर सिलाई कर देने से यह आम जनता के लिए बैठने योग्य बन गयी. बेंच के बीच से उखड़ी पट्टी या टूटी फट्टी से जाने कितने गरीबों की पैंट पैजामा फटते फटते बचा होगा.
दूसरी ओर जो जिलाधिकारी व जिले के मातह्त्तों के बैठने की व्यवस्था है जिस पर बैठकर वे पूरे जिले की कार्य योजनाओं की रूप रेखा तैयार करते हैं उसकी तस्वीर देखिये. आप कि समझ में आ जाएगा कि आम पब्लिक और अधिकारियों में कितना अंतर है.
उम्मीद है जिला प्रशासन इस बात का संज्ञान लेगा और जल्दी ही इस बेंच के स्थान पर चार धाम यात्रा मार्ग के जुड़े महत्व को देखते हुए कोई सुयोग्य व्यवस्था करेगा ताकि मीलों चलकर आने वाले ग्रामीणों या यात्रियों को ऐसी असुविधा से रूबरू न होना पड़े.
फोटो- दिनेश कंडवाल