क्या पौड़ी के होंगे विधायक मुकेश कोली ?
(शीशपाल सिंह गुसाईं)
पौड़ी के नए विधायक श्री मुकेश कोली, पहली बार मिले तो ख्याल आया कि एक अहम सवाल किया जाय कि पौड़ी मे मंडल स्तर अधिकारी कब पौड़ी रहेंगे ? मुकेश कोली का जबाब था कि जब सब चाहेंगे तो मैं भी! मैने आगे बढ़ाते सूप पीते पीते कहा कि एक विधायक मे बहुत ताकत होती है। वे हंसे। और कहे कि देखते हैं। जोर लगाते हैं। पौड़ी वीरानगी और पलायन से कोली भी वाकिफ हैं और पौड़ी की वरिष्ठ पत्रकार मीरा रावत जी भी। लेकिन क्या करे। दवा कोली जी के पास है।
दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट मुकेश कोली जी पहली नजर मे शालीन तो लगे, लेकिन पौड़ी का रोड मैप उनके पास नहीं था। उनमे कार्यालय को लेकर कंरट नहीं था।
जो होना चाहिए। उन्हे बताया गया कि मंडलायुक्त डीआईजी आफिस ,मुख्य वन संरक्षक, मुख्य अभियंता स्तर वन, सहित सभी तमाम अधिकारी देहरादून मे रहते है। वे दोपहर में लंच करते हैं और चार बजे तक सोते है। फिर साढ़े चार बजे आफिस पहुंचते और प्रगति रिपोर्ट को लेकर मुख्यमंत्री जी के पास जाते है और अपनी पीठ थपथपा कर आते हैं। यह सिलसिला एक आध माह पहले तक चलता रहा।अफसर की पीठ थपथपाने पर जनता के प्रति ढीट हो गए है।या यूं कहें छुट्टे सांड हो गए हैं।
24 फरवरी 1960 को पौड़ी से चमोली अलग जिला बना उसके बाद तक भी या यूं कहे राज्य बनने तक पौड़ी मे अफसर बैठते थे। लेकिन कैंप कार्यालय की प्रथा ने बेडा गर्क कर दिया। निर्माण कार्यो के चेक भी यही कटते होंगे।और यही के ठेकेदारो को बंटते होंगे। सवाल अफसरो की सहूलियत का भी है।
एक जवान मुख्य मंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को आज सत्ता संभाले शनिवार को एक सप्ताह हुआ है। आज ही कुछ करने के लिए कहना, मूल्यांकन करना ज्यादती होगी। छह माह मे कुछ बोला जा सकता है। उम्मीद की जानी चाहिए मंडलीय स्तर के अधिकारी अगले महीनो मे पौड़ी होंगे। वीरानगी दूर होगी। लोगो को लगेगा कि जिन अफसरो से देहरादून मे कांग्रेस ने प्यार किया है उन्हे त्रिवेन्द्र जी की बीजेपी की सरकार ने खदेड़ा है।
मुकेश कोली जैसे शिक्षित विधायक को आगे आना होगा।मजबूती से मांग रखनी होगी।सुबह मंत्री और मुख्यमंत्री के दर पर जाना होगा। आखिर दिल्ली विश्वविद्यालय का पढा हुआ तो कुछ काम आना चाहिए।