कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित मोहनि मंत्र।

(भीष्म कुकरेती/मनोज इष्टवाल)

ऐसा नहीं है कि तंत्र मंत्र विद्या के लिए हमें बंगाल की धरती पर ही जाना पड़े। उत्तराखंड व हिमाचल सहित सम्पूर्ण पहाड़ी राज्यों में तंत्र विद्या सम्बन्धी हजारों हजार मंत्रों की रचना है व उनके जानकार पंडित तांत्रित व औघड़ हर ज़िले में मिल जाएंगे। वर्तमान में भले ही इस विद्या के जानकारों ने तांत्रिक मंत्रों व मारक मंत्रों का प्रयोग कम कर दिया है लेकिन इसके ज्ञाता कम हुए हों ऐसा कदापि नहीं है।

ऐसी कई ऐतिहासिक घटनाएं हैं जिनमें मारक मंत्रों का प्रयोग हुआ है। मारक मंत्र ज्यादात्तर राजसत्ता का सुख भोगने वाले लोग/राजनीतिज्ञ इस्तेमाल करते आये हैं। वर्तमान में भी राजनीति में ऐसी कई घटनाएं परिलक्षित होती आ रही हैं जिन्हें स्वाभाविक मृत्यु समझा जा रहा है।

हिमाचल व उत्तराखण्ड की सीमारेखा पर स्थित गांव बास्ततिल व कोटि निमगा का किस्सा अभी ज्यादा पुराना नहीं है जहाँ आपसी रंजिश के चलते नरताइक पंडितों ने अपनी तंत्र विद्या से पूरा कोटि-निमगा गांव जला दिया दिया था। इन्हीं पंडितों के वंशज कभी भूतों से अपना अन्न मंडवाकर अपने गांव चिल्हाड मंगवाया करते थे।

मोहिनी मंत्र अब भले ही पहाड़ों में कम हो गया है लेकिन पूर्व में इसके बहुत से किस्से सुनने को मिलते थे। वर्तमान में ऐसे ही मंत्र का सबसे अधिक प्रयोग मुस्लिम समुदाय में प्रचलित है और इसे वहां मोहिनी मंत्र के स्थान पर वशीकरण मंत्र माना जाता है। लव जिहादी ऐसे ही मंत्र का प्रयोग कर दूसरे धर्म की बहन बेटियों को इस्तेमाल कर उन्हें नापाक कर धर्म भ्रष्ट कर रहे हैं।

मोहिनी मंत्र अपने आप में एक जाप है जिसे कितने काल तक कितनी बार अभिमंत्रित कर उसका इस्तेमाल किया जाता है इसके बारे में जानकारी देना या जुटाना सामाजिक दृष्टि से ठीक नहीं है लेकिन मंत्र क्या है उसका ब्यौरा कुछ इस तरह है:-

ओउम नमो गुरु को आदेश।।
००००
घोर मोहनी, अघोर मोहनी माई।
बौडी मोहनी, धरती मोहनी, अगास मोहनी।
थल मोहनी , अची मोहनी, भीर मोहनी।
पत्ती मोहनी, मन्दिर मोहनी माई।।

राजा की राणी मोहनी।
परजा कि घर मोहनी।
नारी मोहनी, कट्यारी मोहनी।
मती मोह, अकल मोह।
ज्ञान मोह, ध्यान मोह।
जंत्र मोह, संत मोह।
कालिका माता कि दुहाई।
फूल मन्त्रो इश्वरो वाचा:।ॐ फुर्र मंत्रों उवाचा।।।

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