कुपवाड़ा में आतंकी हमले में पौड़ी गढ़वाल का कमांडो शहीद। घर में चल रही थी शादी की तैयारियां।

पौड़ी 6 अप्रैल 2020 (हि. डिस्कवर)

यूँ तो माँ भारती पर कुर्बान होने वाले उत्तराखण्डियों की पैबिस्त बहुत लंबी है, जो अपनी जान देश के नाम कर अपने खानदान का नाम अपने साथ अमर कर देते हैं लेकिन जब ऐसे युवा देश के काम आते हैं तो मन दुखी हो जाता है।

हाल ही में अपनी मंगनी करवाकर अपनी ड्यूटी पर लौटा विकास खण्ड कल्जीखाल के कोला गाँव निवासी कमांडो अमित अंथवाल के परिजन उसकी शादी की तैयारी में जुटे थे। अमित के पिता नागेंद्र अंथवाल गांव में ही रहकर किसी तरह अपना व परिवार का गुजर बसर कर रहे थे। लायक बेटा निकला और इकलौता बेटा जाकर फौज में भर्ती हो गया। अमित की दोनों बहनों जिनमें शोभा और पिंकी शामिल हैं अपनी-अपनी ससुराल में सुखी-सुखी जीवन यापन कर रही हैं। अमित की माँ अपनी बहू के आगमन के सपने सँजोये जाने क्या क्या ख्वाब बुन रही थी कि अकस्मात दो दिन पूर्व अपने बेटे की खबर मिली कि वह देश के काम आ गया। इकलौते बेटे का इस तरह चले जाना भला किसकी छाती में नश्तर नहीं रोपेगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में घुसपैठियों के मंसूबों को नाकाम करते हुए उत्तराखंड के दो वीर जवान देवेंद्र सिंह (रुद्रप्रयाग) और अमित कुमार अंथवाल (पौड़ी गढ़वाल) की शहादत को  नमन करते हुए  ईश्वर से शहीदों की आत्मा की शांति व परिजनों को संबल प्रदान करने की कामना की है। उन्होंने कहा कि सरकार शहीदों के परिजनों के साथ हर समय खड़ी है। 

वरिष्ठ पत्रकार अनिल बहुगुणा जानकारी देते हुए बताते हैं कि कश्मीर के कुपवाड़ा में हुए आतंकी हमले में पौड़ी जनपद के एक लाल देश के लिए शहीद हो गया कल्जीखाल ब्लॉक के कोला गांव का रहने वाला वीर जवान अमित कुपवाड़ा में अपनी ड्यूटी दे रहा था तभी आतंकियों ने जवानों के कैम्प में हमला किया जिसमें कमांडो अमित अण्थवाल देश के शहीद हो गया। इस घटना से अमित के परिवार और पूरे क्षेत्र शोक की लहर छाई हुई है। शहीद अमित दो बहिनों का एकलौता भाई था और इन दिनों घर में उसकी शादी की तैयारियां चल रही थी। अक्टूबर में उसकी शादी तय हुई थी जबकि अभी कुछ माह पूर्व ही उसकी सगाई हुई थी। अक्टूबर में शादी तय हुई थी मगर इससे पूर्व ही अमित की शहादत की खबर ने परिवार सहित पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ा दी है। यह सचमुच बड़ा आघात है लेकिन देश पर शहीद होने से बड़ा और कोई बलिदान भी तो नहीं।

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