किसके इशारे पर पहाड़ चढ़ी छट पूजा! सार्वजनिक अवकाश पर सरकार इतनी गंभीर क्यों!
(मनोज इष्टवाल)
यकीनन छट पूजा सूर्य को अर्घ देने का एक ऐसा पर्व है जो हिन्दुओं को सुर्यवंश के धोत्तक मानते हैं! और इन दिनों सूर्य के गतिमान चक्र से आने वाले शारीरिक विकारों के लिए यह छट पूजा मनाएं जाने का पर्व माना जाता है! उत्तराखंड के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा छट पूजा अवकाश पर जारी आदेश से उत्तराखंड का जनमानस आवाक है. लोगों का कहना है कि यह वही भाजपा सरकार व उसके नेता हैं जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा छट पूजा पर सिर्फ बिहारी अधिकारियों व कर्मचारियों की छुट्टी का आदेश जारी किया था वहीँ बीजेपी ने तो पूरे प्रदेश में ही अवकाश घोषित कर दिया.
छट का पहाड़ों में आयोजन का क्या औचित्य? यह प्रश्न इसलिए खड़ा हो जाता है क्योंकि पहाड़ में बिहारी जनमानस की संख्या अधिकत्तर जिलों में शून्य से 1 प्रतिशत है. वहीँ उत्तराखंड सरकार लगभग 80 से 90 प्रतिशत उत्तराखंडी लोक संस्कृति का उत्तरैणी या मकरैणी त्यौहार पर कभी कोई अवकाश घोषित नहीं हुआ! फिर ऐसा क्या हुआ कि 5 प्रतिशत से भी कम बिहारी जनमानस के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग को पूरे प्रदेश के लिए सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया!
आखिर ये सार्वजनिक अवकाश किसके इशारे पर जारी हुआ यही बिषय चर्चा का बना हुआ है क्योंकि आये दिन के फैसलों पर अंगुली मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह उनके सिपहसलार कहे जाने वाले अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश पर आकर ठहर जाती है. और तो और हाल ही में मुख्यसचिव रामास्वामी को हटाकार उत्पल कुमार सिंह को मुख्य सचिव बनाए जाने व पर्यटन सचिव मीनाक्षी सुन्दरम से विभाग छीने जाने पर भी अंगुली वहीँ आकर ठहर गयी!
एक ओर देश के प्रधानमन्त्री हर मंच से यह घोषणा करते नजर आ रहे हैं कि देश में अवकाश कम से कम हों वहीँ त्रिवेंद्र सरकार का मात्र 5 प्रतिशत उत्तराखंड में निवास कर रहे बिहारियों के लिए छट पूजा पर अपनाई गयी दरियादिल्ली अचम्भित करने वाली लगती है क्योंकि अगर इसे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की तर्ज पर ही रखा जाता तब कोई ज्यादा ताजुब करने वाली बात नहीं थी अगर सिर्फ तीन मैदानी जिलों के लिए भी यह अवकाश होता तब भी जायज सा लगता है लेकिन पूरे पहाड़ को भी अवकाश देकर जो जनहित के कार्य एक दिन में प्रभावित हुए हैं वह करोड़ों का राजस्व घाटा प्रदेश को दे गए! प्रश्न अब भी ज्यों का त्यों खड़ा है कि क्या त्रिवेंद्र सरकार छट पूजा की तरह उत्तराखंड के लोक पर्वों लोक त्यौहारों के लिए भी ऐसी ही दरियादिली दिखायेगी!