कहाँ तक तर्कसंगत था जजों का यूँ सरेआम प्रेस कांफ्रेंस करना। क्या यह कोड ऑफ कंडक्ट तो नहीं!

(मनोज इष्टवाल)
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के विरुद्ध विगत दिनों मुखर हुए सुप्रीम कोर्ट के चार प्रमुख जजों ने जिस तरह प्रेस कांफ्रेंस कर सनसनी फैला दी थी और इसे न सिर्फ राष्ट्र बल्कि विदेशी अखबार व टीवी चैनल्स ने भी प्रमुखता से उठाया है।

मैं नहीं जानता कि सुप्रीम कोर्ट के मी लार्ड के इस तरह प्रेस कांफ्रेंस करने में उनके कौन कौन से अधिकार हैं लेकिन भाजपा नेता परेश रावल ने जरूर इसे कोड ऑफ कंडक्ट की श्रेणी में शामिल करते हुए कहा ही कि यह जजों के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता कि वे ऐसे प्रेस कांफ्रेंस कर सकते हैं।

अब जबकि लॉ में वर्णित जस्टिस नियमावली का हवाला देखा जाय तब उसमें स्पष्ट लिखा है कि न जस्टिस अपने पद पर रहकर किसी तरह की राजनीति कर सकते हैं न वे कोई प्रेस कांफ्रेंस ही।
अगर ऐसा है तो फिर इन चार माननीयों द्वारा सरेआम प्रेस कांफ्रेंस करने के बाद कोड ऑफ कंडक्ट अभी तक क्यों लागू नहीं हुआ। क्या लोकतंत्र में यह बात आम व्यक्ति के जानने के हक अधिकार में शामिल है ? और अगर है तो फिर आज भी चीफ जस्टिस पंकज मिश्रा द्वारा चारों जजों के साथ 15 मिनट तक वार्ता का जो दौर चला उसमें क्या कुछ निष्कर्ष निकाला। और अगर वार्ता जारी है तब यह कोड ऑफ कंडक्ट लागू क्यों नहीं हुआ?
जहां तक मेरा सोचना है कि इन चारों जजों को संविधान पीठ में शामिल न करने के कारण इन्होंने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के आगे ऐतराज जताया था। जब उन्हें यह ज्ञात हो गया कि अब वे संविधान पीठ में शामिल नहीं किये गए हैं तब उन्होंने यह मामला मीडिया के आगे रखा लेकिन इस पत्रकार वार्ता में उन्होने यह मुद्दा सार्वजनिक न कर बल्कि मुख्य न्यायधीश पर यह आरोप लगाए कि वे जरूरी केश उन्हें न सौंपकर उनसे जूनियर को सौंप रहे हैं।
मुख्य न्यायधीश को लिखे अपने संयुक्त पत्र में ये चारों जज साफ लिखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के सारे जज एक समान हैं और उन्हें सभी अधिकार बराबर हैं। फिर इन जजों की आखिर मंशा क्या थी? और क्यों ये यह मामला प्रेस तक ले गए जबकि इस से पूर्व भी कई बार ऐसा हुआ है जब मुख्य न्यायधीश द्वारा सीनियर जजों की जगह महत्वपूर्ण केश जूनियर जजों को सौंपे गए हैं व उन्हें संविधान पीठ में शामिल किया गया है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर ये चारों जज चाहते क्या हैं!
बहरहाल प्रश्न बड़े हैं जिन्हें न्यायविद ही ज्यादा सही तरीके से बता पाएंगे लेकिन देश यह जरूर जानना चाहेगा कि आखिर ये कोड ऑफ कंडक्ट है क्या बला!

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