कतराड़ी फल…कहते हैं रावण ने इसके कांटे उल्टा दिये थे।
(मनोज इष्टवाल)

यह एक बेलनुमा/झाड़ीनुमा पौधा है जिसमें काफल की तरह के लाल दाने लगते हैं। रवाई या पर्वत क्षेत्र के ज्यादात्तर लोग इसे कतराड़ी के नाम से जानते हैं इसकी गुणवत्ता भ्वीं काफल की तरह मानी जाती है। इसके फल को यहां का जन मानस बहुत स्वाद के साथ खाता है।

खेडमी गांव के दफ्तर सिंह पंवार जानकारी देते हुए बताते हैं कि यहां एक पौराणिक कथा इस पौधे के सम्बन्ध में कही जाती है कि रावण जब सीता माता का हरण करके ले जा रहा था तब यह पौधा सीता माता को बचाने के लिए रावण पर चिपक गया जिससे रावण का पूरा बदन लहूलुहान हो गया। गुस्से में रावण ने इस पौधे के कांटे ही उल्टा दिये।
इसे पौड़ी गढ़वाल में कळहिंसर कहते हैं। इसके फल जब कच्चे होते हैं तब लाल होते हैं और जब पूरी तरह पक जाते हैं तब यह काले हो जाते हैं। यह फल खाने में बहुत मीठा होता है। इस फल को आयुर्वेदिक दवाओं में भी प्रयुक्त किया जाता है लेकिन इसका किन दवाओं में प्रयोग होता है यह यहां के लोग भी नहीं जानते।