एसडीआरएफ के 12 जवान 12 माह केदारनाथ !

(मनोज इष्टवाल)
कभी हम यह भी कल्पना करते हैं कि शहरों में बैठकर हम मोटी रजाई, वातानुकूलित कमरे व हर सुविधाओं से लेश होकर जीवन यापन करने के सिवाय और करते भी क्या हैं!  जब भी फौजियों के मरने की खबर या उनकी कोई शहादत की खबर आती है तब हम में से ही कई सरफिरे बुद्धिजीवी कहते हैं कि उन्होंने कौन से अहसान किया इस बात का सरकार उन्हें वेतन दे रही है लेकिन वे ये नहीं सोचते कि वेतन तो खुद हम भी ले रहे हैं और उनसे भी ज्यादा! कम हम हर दम उनकी तरह प्राण जोखिम में डालकर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं! हो सकता है हम में से कई ऐसा कर भी रहे हों लेकिन जीरो से कई जीरो टेम्परेचर में सीमाओं की पहरेदारी करना बर्फ से अपने हाथों पैरों की अंगुलियाँ गला देना और कब कहाँ से दुश्मन की गोली आकर सीना चाक कर दे ऐसी नौकरी क्या हम सब कर रहे हैं!

मुझे केदारनाथ की एसडीआरएफ की वह टीम याद आ गयी जिसके 12 सदस्य आपदा की हर घड़ी से निबटने के लिए हरदम हर पल अपने को कुर्बान किये रहते हैं! आज सुबह यानि ३ नवम्बर 2018  जब 5 बजे से बर्फवारी शुरू हुई तब सभी या तो स्वप्नलोक में रहे होंगे या फिर अपने गर्म बिस्तर के अंदर कुनबुना रहे होंगे! भला इतने सर्द मौसम में बाहर कौन निकलता! मेरी नींद उजड़ी थी और देहरादून में भी बारिश हो रही थी सोचा एक फोन केदारनाथ में तैनात अपने परिचित जवान को भी कर दूँ! एक ही घंटी बजी थी कि दूसरी ओर से आवाज आई भैजी जय हिन्द..! जय बाबा केदार!
 
मैं अटकते स्वर में बोला -अरे अभी सोये नहीं गजब इतनी सुबह सुबह ..! वो भी इतनी ठंड में ! उधर से आवाज आई! भैजी बर्फवारी हो रही है और हम सभी 12 जवान अपनी ड्यूटी निभाने अपने अपने स्लीपिंग बैग से बाहर निकलकर यह सर्च करने पर लगे हैं कि कहीं ज्यादा अतिवृष्टि की सम्भावना तो नहीं ! कितने बुजुर्ग आज यहाँ ठहरे हैं सबकी व्यवस्था क्या कुछ होगी !
बहरहाल कनेक्शन कटा और बात आई गयी हो गयी! मैं भी भूल ही गया था कि मेरी किसी से बात हुई ! शाम को जब टीवी चैनल्स ने केदारनाथ में बर्फवारी की तस्वीरें साझा करनी शुरू की तब ध्यान आया और मैंने दुबारा फोन किया- उधर से आवाज आई ! आज ज्यादा दर्शनार्थी नहीं थे क्योंकि जो आ भी रहे होंगे उन्हें नीचे ही रोक दिया गया होगा! हम 4-5 बुजुर्ग को आधे रास्ते तक सुरक्षित छोड़ आये हैं ! अभी पूरा केदारनाथ बर्फ से लबालब है लगभग डेढ़ फिट के आस-पास बर्फवारी हो गयी है! फिलहाल तेज हवाएं हैं और मौसम बहुत सर्द है! लगता है आज पूरी रात जगना पडेगा!
मैंने तस्वीरें मांगी तो मेरे व्ह्ट्सअप्प नम्बर पर मुझे उपलब्ध करवा दी गयी! अब आप बोलिए ये भी तो किसी न किसी माँ के लाल हैं जो हर दम हर पल बारहों महीने मुस्तैदी के साथ अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं क्या ऐसे अर्धसैनिक बलों के जवानों के लिए दिल से एक सलूट नहीं बनता! जय बाबा केदार ! जय जवान
 

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