एम्स आयुष विभाग में पंचकर्म एवं नेचुरोपैथी किचन ​विधिवत शुरूआत।

देहरादून 29 जुलाई 2019 (हि. डिस्कवर)।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के आयुष विभाग में पंचकर्म एवं नेचुरोपैथी किचन ​विधिवत शुरू हो गया। जिसमें मरीजों के लिए विभिन्न प्रकार की औषधियां तैयार की जाएंगी। सोमवार को एम्स के आयुष विभाग में आयोजित कार्यक्रम में निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने पंचकर्म व प्राकृतिक चिकित्सा के लिए नवनिर्मित ​किचन का विधिवत शुभारंभ किया।

इस अवसर पर निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने संस्थान के आयुष विभाग में मरीजों की सुविधा के लिए जल्द आंतरिक रोगी विभाग( आईपीडी) सेवाएं शुरू करने की बात कही है। उन्होंने बताया कि इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की ओर से मंजूरी मिल चुकी है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि आयुष विभाग में मरीजों के लिए सुविधाओं का विस्तारीकरण किया जाएगा।

इस अवसर पर निदेशक ने पंचकर्म को बहुत ही महत्वपूर्ण चिकित्सा पद्धति बताया, उन्होंने बताया कि संस्थान में वैज्ञानिक तरीके से इन सभी चिकित्सा पद्धतियों को स्थापित करने के ​लिए प्रयास किए जाएंगे। इस दौरान निदेशक प्रो. रवि कांत ने विभाग में अनुसंधान को बढ़ावा देने पर जोर दिया, जिससे आम लोगों को इन प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों का लाभ मिल सके।

आयुष विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना ने बताया कि संस्थान में आयुष विंग को पूरी तरह से स्थापित करने के लिए सततरूप से प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे मरीजों को प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों का लाभ मिल सके। उन्होंने बताया कि आयुष विभाग में मरीजों को पंचकर्म चिकित्सा काफी समय से उपलब्ध कराई जा रही है, मगर विभाग में दवाओं को तैयार करने के लिए किचन स्था​पित नहीं होने से मरीजों के लिए दूसरे स्थानों से दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही थी।

संस्थान में किचन स्थापित होने से मरीजों के लिए संस्थान के हर्बल गार्डन की औषधियों से विभिन्न प्रकार की कषाय, पत्र पोटली स्वैत (पीपीएस),षष्टी शाली पिंड स्वैत (एसएसपीएस) आदि पंचकर्म की महत्वपूर्ण औषधियां उपलब्ध हो सकेंगी। इस अवसर पर डीन प्रो.सुरेखा किशोर, एमएस डा. ब्रह्मप्रकाश, डीन ( एलुमिनाई) प्रो. बीना रवि, डीन( स्टूडेंट्स वैलफेयर) प्रो. मनोज गुप्ता, एसई सुलेमान अहमद, ईई (इलेक्ट्रिकल) इंद्रजीत, आयुष विभाग की डा. मीनाक्षी जगझापे, डा. विंतेश्वरी नौटियाल, डा. अन्विता सिंह, डा. रविंद्र अंथवाल आदि मौजूद थे।

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