ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेललाइन को नेशनल प्रोजेक्ट बनाने की कार्ययोजना पर अफसरशाही की लगाम! एक माह से दबा रखी है फाइल!

ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेललाइन को नेशनल प्रोजेक्ट बनाने की कार्ययोजना पर अफसरशाही की लगाम! एक माह से दबा रखी है फाइल!
देहरादून 4 जून (हि. डिस्कवर)
एक ओर जहाँ रेलमंत्री सुरेश प्रभु विगत दिनों बदरीनाथ में चार धाम रेल परियोजना का शिलान्यास कर गए जिसमें लगभग 43,292 करोड़ रुपये की लागत आएगी वहीँ ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन की फाइल पर सरकार के अपर मुख्य सचिव कुंडली मारे बैठे हुए हैं.

ज्ञात हो कि ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना विगत दो दशक से भी ज्यादा समय से रुकी हुई है जिसका दो बार का सर्वे व एक बार कार्य प्रारम्भ शिलान्यास भी हो चूका है दो दशक पहले सन 1996 में तत्कालीन रेल राज्यमंत्री सतपाल महाराज ने ऋषिकेश में इसके सर्वे का शिलान्यास किया था। इसके बाद देढ दशक तक क्या हुआ किसी को नहीं मालूम। फिर साल 2011 में इस यह परियोजना नेशनल फ्लैगशिप प्रोग्राम के तहत राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं में शामिल हुई, इसी के साथ काम शुरू करने के लिए 4295 करोड़ रुपये की मंजूरी भी मिली। दिलचस्प यह रहा कि इस मंजूरी के बाद रेलवे ट्रैक बिछाने का शिलान्यास ऋषिकेश के बजाय परियोजना के दूसरे छोर, कर्णप्रयाग के नजदीक गौचर में हवाई पट्टी पर हुआ!
वहीँ  जिस ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना की लम्बाई 125 किलोमीटर थी, अब उसका दायरा चारधाम तक बढ़ाए जाने के बाद यह 325 किलोमीटर पहुंच जाएगा । हो सकता है जानबूझकर इसे चार धाम रेल परियोजना नाम दिया गया हो ताकि कांग्रेस सरकार के समय मंजूर हुई यह परियोजना कांग्रेसी न लगे शायद यही कारण भी है कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आनन फानन इस परियोजना का बदरीनाथ में शिलान्यास कर दिया.

अब प्रश्न यह है कि इसके विभिन्न सर्वे इत्यादि के लिए केंद्र से मांगे गए 650 करोड़ रुपये की राशि पर क्या क्या काम होना है यह तय होना है. केंद्र द्वारा अंतिम सर्वेक्षण के लिए 120.92 करोड़ की लागत मंजूर भी कर दी है जिसके आधार पर इस प्रोजेक्ट की आईईसी सर्वेक्षण 21 स्टेशनों, 61 सुरंगों व 59 पुलों का भी अंतिम प्रारूप बर्ष 2017-18 तक पूरा होगा ताकि आगामी बर्ष में इस पर कार्य किया जा सके.
लेकिन सबसे महत्वपूर्व बात यहाँ है कि उत्तराखंड सरकार के सम्बन्धित मंत्रालय ने बहुत मेहनत के साथ इस पर कार्यवाही करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना को नेशनल प्रोजेक्ट शामिल करने के लिए विगत 10 अप्रैल 2017 को एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने के लिए मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री को पत्र लिखें लेकिन यह पत्र अभी भी मुख्यमंत्री के सबसे नजदीकी समझे जाने वाले एक अपर मुख्य सचिव के यहाँ से आगे नहीं खिसक पाया. बहरहाल ऐसा क्यों है इस पर सूत्र कहते हैं कि यह तो वही जाने कि ऐसा कर देने से वे क्या फायदा लेना चाहते हैं. या उन्हें क्या फायदा होने वाला है, लेकिन इतना तय है कि इस फाइल को दबाकर रखने से प्रदेश का बड़ा नुकसां संभव है क्योंकि यह परियोजना नेशनल प्रोजेक्ट के रूप में शुरू होने से आगामी समय में करोड़ों रुपये का आर्थिक सामंजस्य केंद्र सरकार के माध्यम से प्रदेश सरकार को लाभान्वित करता.
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *