उत्तराखण्ड संस्कृत शिक्षा परिषद द्वारा टीईटी आयोजन के लिए संस्कृत शिक्षा परिषद में परीक्षण करने के निर्देश!
देहरादून 17 जुलाई (हि.डिस्कवर)
प्रदेश के संस्कृत शिक्षा, विद्यालयी शिक्षा, प्रौढ़़ शिक्षा, खेल, युवा कल्याण एवं पंचायती राज मंत्री अरविन्द पाण्डेय की अध्यक्षता में विधान सभा स्थित उनके कक्ष में संस्कृत शिक्षा संवर्धन विषयक बैठक सम्पन्न हुई।
बैठक में अनेक विषयों पर महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये, जिनमें पूर्व मध्यमा/उत्तर मध्यमा एवं शास्त्री/आचार्य एवं शोध विषयक पढ़ाये जा रहे पाठ्यक्रमों पर चर्चा के दौरान संस्कृत शिक्षा को रोजगार परक बनाने के मध्यनजर शिक्षामंत्री पाण्डेय ने पुनरीक्षण के निर्देश दिये। एक अन्य विषय राजकीय संस्कृत विद्यालय खरसाड़ी, उत्तरकाशी एवं मुखेम(टिहरी) में छात्र संख्या शून्य के दृष्टिगत विद्यालय में तैनात अध्यापकों को आवश्यकतानुसार समीप के विद्यालयों में तैनाती के निर्देश शिक्षामंत्री ने दिये तथा इन विद्यालयों के भवन निर्माण के लिए भूमि चिन्हीकरण के भी निर्देश दिये।

वर्तमान में संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती के परिपेक्ष्य परीक्षा सम्बन्धित कोई नीति न होने की जानकारी दी गई। साथ ही संस्कृत के विद्यालयों में योग्य शिक्षकों की तैनाती के उद्देश्य से उत्तराखण्ड संस्कृत शिक्षा परिषद द्वारा टीईटी आयोजन के लिए संस्कृत शिक्षा परिषद में परीक्षण करने के निर्देश दिये गये।
शिक्षा मंत्री द्वारा गढ़वाल एवं कुमाऊँ में एक-एक आदर्श आवासीय संस्कृत विद्यालय खोले जाने के निर्देश दिये गये। शिक्षा मंत्री द्वारा कक्षा 1-5 तक डे-बोर्डिंग तथा कक्षा 6 से 12 तक आवासीय विद्यालय संचालित करने से सम्बन्धित प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश शिक्षा मंत्री द्वारा दिये गये।
वर्तमान में अधिकतर संस्कृत विद्यालय/महाविद्यालय एक ही परिसर से संचालित हैं तथा वर्तमान में 46 महाविद्यालय यूजीसी के मानकानुसार संस्कृत विद्यालय से सम्बद्ध हैं अथवा नहीं, इस सम्बन्ध में सचिव संस्कृत को महाविद्यालयवार विस्तार से स्थिति विश्वविद्यालय से स्पष्ट कराने के निर्देश शिक्षा मंत्री द्वारा दिये गये।
एक अन्य विषय कि उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 प्रभावी है, किन्तु विश्वविद्यालय की अपनी कोई परिनियमावली प्रख्यापित न होने के मध्यनजर, न्याय विभाग द्वारा विश्वविद्यालय द्वारा अपनी परिनियमावली बनाने के सलाह देने पर संस्कृत विश्वविद्यालय की वर्तमान परिवेश में परिनियमावली/अधिनियम का प्रारूप तैयार कर शासन में 15 दिन में उपलब्ध कराने के निर्देश कुल सचिव संस्कृत विश्वविद्यालय को शिक्षा मंत्री द्वारा दिये गये। एक अन्य निर्णय पर संस्कृत शिक्षा मं सुधार हेतु शिक्षकों को समय-समय पर प्रशिक्षण हेतु कार्य योजना बनाने के निर्देश हेतु निदेशक संस्कृत आर0के0कुंवर को दिये गये।
निदेशक द्वारा शिक्षामंत्री को अवगत कराया गया कि वर्तमान में उत्तराखण्ड संस्कृत शिक्षा विनियम 2015 वापस ली गई है तथा विनियम में संशोधन हेतु समिति का गठन किया गया है। चँूकि विनियम में पाठ्यक्रम/विषयों का भी उल्लेख होता है, के दृष्टिगत सर्वप्रथम वर्तमान पाठ्यक्रम/विषय के संयोजन का प्रस्ताव एवं विनियम प्रख्यापन हेतु संशोधित प्रस्ताव की प्रगति गतिमान की जानकारी दी गइ।
बैठक में सचिव संस्कृत श्रीमती ऊषा शुक्ला, अपर सचिव विनोद रतूड़ी, संस्कृत शिक्षा परिषद अध्यक्ष निदेशक शिक्षा आर0के0कुंवर तथा सचिव भूपेन्द्र नेगी एवं संयुक्त सचिव गिरधर सिंह भाकुनी उपस्थित थे।