उत्तराखण्ड राज्य की भौगोलिक परस्थितियों एवं कृषि जलवायु विभिन्न प्रकार की औद्योनिक फसलों के उत्पादन हेतु उपयुक्त-सुबोध उनियाल
उत्तराखण्ड राज्य की भौगोलिक परस्थितियों एवं कृषि जलवायु विभिन्न प्रकार की औद्योनिक फसलों के उत्पादन हेतु उपयुक्त-सुबोध उनियाल
नई दिल्ली 24 अप्रैल (हि. डिस्कवर)
विज्ञान भवन में कृषि मंत्रालय द्वारा आयोजित बैठक में राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के कृषि मंत्रियों की बैठक में उत्तराखण्ड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने प्रतिभाग किया। बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय कृषि एवं सहकारिता मंत्री राधामोहन सिंह द्वारा की गयी। उत्तराखण्ड के कृषि मंत्री ने बैठक में उत्तराखण्ड के कृषि से सम्बंधित विभिन्न मुद्दों पर राज्य का पक्ष रखा।

बैठक में उत्तराखण्ड के कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की भौगोलिक परस्थितियों एवं कृषि जलवायु विभिन्न प्रकार की औद्योनिक फसलों के उत्पादन हेतु उपयुक्त है। राज्य का पर्वतीय क्षेत्र जहाँ शीतोष्ण फलों जैसे सेब, नाशपाती, आडू, प्लम, अखरोट खुबानी, कीवी एवं बेमौसमी सब्जियों, मसाला, पुष्प आदि के उत्पादन के लिये अनुकूल है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश का घाटी एवं मैदानी क्षेत्र समशीतोष्ण फलों जैसे आम, अमरूद, लीची, नींबू प्रजाति के फलों, आॅवला, अनार, मौसमी सब्जियों, मसालों एवं फूलों के उत्पादन हेतु अनुकूल है। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में औद्यानिकी की हिस्सेदारी का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों एवं कृषि जलवायु को दृष्टिगत रखते हुये व्यवसायिक बागवानी को बढ़ावा देने हेतु क्षेत्र विशेष में उत्पादन के लिये उपयुक्त फसलों को ही कलस्टर अवधारणा अपनाते हुये बढ़ाव दिया जा रहा है, जिससे कि गुणवत्तायुक्त अधिकााधिक उत्पादन किया जा सके तथा विपणन में आसानी हो।
उत्तराखण्ड के कृषि मंत्री ने बताया कि मसालों की उत्पादकता में उत्तराखण्ड का प्रथम स्थान है। उत्तराखण्ड राज्य की उत्पादकता 5.82 मै0टन/प्रति हैक्टयर है, जबकि राष्ट्रीय उत्पादकता मात्र 1.60 मै0टन/प्रति हैक्टयर है। इसके अतिरिक्त उत्तराखण्ड राज्य का देश में नाशपाती, आडू व प्लम उत्पादन में प्रथम व अखरोट उत्पादन में द्वितीय व सेब उत्पादन में तृतीय स्थान है। उत्तराखण्ड के कृषि मंत्री ने केन्द्र सरकार से अनुरोध किया कि उत्तर पूर्व और हिमालय राज्यों के लिये बागवानी मिशन के योजनान्तर्गत उत्तराखण्ड राज्य में लगभग 10.00 करोड़ रूपये के इन्टिग्रेटेड कोल्ड चेन की स्थापना की जाये ताकि आपदा आदि से सेब व अन्य शीतकालीन फलों की सुरक्षा की जा सके।
उत्तराखण्ड के कृषि मंत्री ने बताया कि उत्तराखण्ड में औद्यानिकी फसलों के उत्पादों की तुड़ाई उपरान्त नुकसान को कम करने के लिये तुडाई उपरान्त प्रबन्धन अवस्थापना, विपणन व्यवस्था सुनिश्चित करने तथा प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना करने हेतु लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इस हेतु उत्तराखण्ड सरकार ने उत्तराखण्ड औद्यानिक विपणन बोर्ड का गठन किया गया है, तथा प्रसंस्करण हेतु राज्य खाद्य प्रसंस्करण मिशन स्वीकृत कर क्रियान्वित किया जा रहा है। उन्होनें कहा कि कृषकों की आय में वृद्वि हेतु खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना का महत्वपूर्ण योगदान होगा, इसके लिये राज्य के किसानों द्वारा प्रसंस्करण योग्य कृषि एवं औद्यानिक फसलों के उत्पादों के उत्पादन में वृद्वि करने पर जोर दिया जा रहा है।
उत्तराखण्ड के कृषि मंत्री नेे केन्द्रीय कृषि मंत्री से जम्मू कश्मीर की भांति उत्तराखण्ड राज्य को भी सेब एवं अन्य शीतोष्ण फलों को वर्ष 2013 की आपदा से एवं ओलावृष्टि, बेमौसमी वर्षा से हुयी क्षति की प्रतिपूर्ति हेतु 500 करोड़ रूपये की विशेष सहायता राशि स्वीकृत करने का भी अनुरोध किया है।
उत्तराखण्ड के कृषि मंत्री ने अनुरोध किया कि दिल्ली व अन्य महानगरों के प्रतिष्ठित पेट्रोल पम्पों पर प्रदेश के औद्यानिक उत्पादों, जैविक उत्पादों, चाय, रेशम, मशरूम एवं शहद आदि के विपणन हेतु स्थान उपलब्ध कराया जाये जिससे उत्तराखण्ड के कृषि उत्पादकों को विपणन की सुविधा आसानी से उपलब्ध हो सके। इसके अतिरिक्त देहरादून एवं हल्द्वानी में प्रदेश में उत्पादित पुष्पों के विपणन हेतु 50-50 करोड़ रूपये की लागत सेे 02 होलसेल मार्केट की स्थापना के प्रस्ताव को शीघ्र स्वीकृत करने का अनुरोध किया।
केन्द्रीय कृषि एवं सहकारिता मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की कृषि से सम्बन्धित सभी मुद्दों पर केन्द्र सरकार हर संभव सहयोग देगा।