उत्तराखण्ड नहीं पूरे देश के कई प्रदेशों के लिए मिशाल बना पौड़ी गढ़वाल के कल्जीखाल विकासखण्ड का भवन!
(मनोज इष्टवाल)
आप जब वहां जाएंगें तो प्रथम दृष्टा महसूस करेंगे कि कहीं आप किसी हिल एरिया के प्रदेश के मिनी सचिवालय को तो नहीं देख रहे हैं, और जब अंदर चहलकदमी करते हुए इसके मीटिंग हाल तक पहुंचेंगे तो आपको लगेगा किसी विधान सभा भवन की बैठक में शिरकत कर रहे हैं।
जिस विकास खण्ड का नाम कभी पौड़ी जनपद के सबसे पिछड़े विकास खण्ड में होता था आज वह प्रदेश के शीर्ष ही नहीं बल्कि देश के श्रेष्ठ विकास खंडों में एक गिना जाता है। इसीलिए लगातार पिछले दो सालों से अपनी कार्य कौशलता के बखान के आधार पर विकास खण्ड कल्जीखाल को पंडित दीनदयाल पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार का सम्मान दिया गया है जिसके हकदार सिर्फ और सिर्फ एक व्यक्ति हैं जिनका नाम है महेंद्र सिंह राणा।
विकास खण्ड कल्जीखाल के प्रमुख बनने से पहले तमाम विपक्षियों द्वारा महेंद्र सिंह राणा के विरुद्ध मोर्चा खोलकर उन्हें माफिया और न जाने क्या क्या कहकर बदनाम किया गया लेकिन जनता जनार्दन ने उनकी कौशलता को पहचाना और उन्हें कल्जीखाल विकास खण्ड का प्रमुख बना उनकी क्षमताओं को परखने का दायित्व सौंपा।
कुछ दिनों बाद ज्ञात होता है कि यह व्यक्ति जिसे प्रदेश के सबसे पिछड़े विकास खंडों में एक विकास खण्ड की कमान जनता ने सौंपी वह व्यक्ति पूरे प्रमुख समुदाय का भी अध्यक्ष मनोनीत हो गया है। यहीं महेंद्र राणा रुकने वाले नहीं थे शायद उन्होंने अपनी मंजिल दर मंजिल पहले से तय कर रखी है और इसीलिए दिल्ली जैसे महानगर के डीडीए जैसे मलाईदार महकमें की कुर्सी लतियाकर वे अपने प्रदेश लौट आये जहां उन्हें सामाजिक क्षेत्र में जीरो से शुरुआत करनी थी। आज मात्र कुछ ही बर्षों में वह अपने क्षेत्र में नहीं प्रदेश में नहीं बल्कि पूरे देश में अपने विकास खण्ड को दो बार लगातार पुरस्कार दिलवाकर हीरो बने हैं । वह भी ऐसे हीरो जहां के विधायकों की अगर विगत 10 साल की टीआरपी चेक की जाय तो पौड़ी जनपद रसातल में पहुंचाने में उन्होंने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
महेंद्र राणा में न सिर्फ पौड़ी विधान सभा के लोग अपितु उस से लगी यमकेश्वर विधान सभा के लोग भावी विधायक की परिकल्पना देख व कर चुके हैं। उम्मीद भी यही हो रही है कि अगर आगामी विधान सभा चुनाव तक पौड़ी विधान सभा सीट सामान्य घोषित होती है तो कोई भी पार्टी उन्हें हाथों-हाथ लेकर टिकट देगी और अगर नहीं तो यमकेश्वर विधान सभा उनके लिए सबसे महफूज सीट कही जा सकती है।
प्रमुख महेंद्र राणा ने सिर्फ विकास भवन विकास खण्ड कल्जीखाल को बनाकर ही इतिश्री नहीं की अपितु अपने व्यक्तिगत प्रयासों से राजनीतिज्ञ लाभ उठाते हुए पूरे विकास खंड में सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवाओं का जाल सा बुन दिया है। उनकी कार्य क्षमता का लोहा सिर्फ क्षेत्रीय जनमानस ही नहीं बल्कि विधान सभा में बैठने वाले विधायक व मंत्रीगण भी मानते हैं और दबी जुबान से उनकी तारीफ किये नहीं थकते। एक अधिकारी का तो यहां तक कहना है कि भले ही उन्होंने विकास भवन का निर्माण पंचायती राज के फंड से किया हो लेकिन इतना जानना भी तो जरुरी है कि किस विभाग से कौन से मद में कौन सा पैंसा निकाला जा सकता है।
दूसरी बार पंडित दीनदयाल पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार से अर्जित 25 लाख की धनराशि व सम्मान पाने वाले प्रमुख महेंद्र राणा निश्चित तौर पर अपने कार्यों से प्रशंसनीय तो हैं ही लेकिन आम जन मानस के बीच उनकी पैठ व विनम्रता उन्हें उनके कद से कई गुना ऊंचा बनाये हुए है। यकीनन ऐसे समाजसेवियों को ही राजनीति की ऊंचाइयों में जनता जनार्दन को ले जाना चाहिए जो अपने से पहले उस माटी का कर्ज उसके विकास की मुंडेर बांधकर चुकाएं जिस माटी में उन्होंने जन्म लिया। ऐसे जनप्रतिनिधि को सलूट।