उत्तराखण्ड के इतिहास में एक नया इतिहास जुड़ा। विधान सभा सत्र बिना व्यवधान के निश्चितकाल के लिए स्थगित।
देहरादून 24 सितम्बर 2018 (हि. डिस्कवर)
उत्तराखण्ड विधानसभा का 2018 का द्वितीय सत्र अनिश्चितकाल के लिये स्थगित किया गया। इस दौरान पत्रकार वार्ता के दौरान विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने सभी पक्ष विपक्ष के विधायकों/विधान सभा सदस्यों काआभार व्यक्त करते हुए उनके सहयोग के लिए धन्यवाद किया।
प्रेस वार्ता के दौरान विधान सभा अध्यक्ष ने बताया कि चार दिन का विधान सभा सत्र बिना बाधा के शांतिपूवर्क सम्पन्न हुआ। 19 घण्टे 29 मिनट चलने वाले सदन के दौरान व्यवधान के कारण सदन एक बार भी स्थगित नहीं हुआ यह अपने आप में एक इतिहास है।
उन्होंने बताया कि नियम 300 के अन्तर्गत 110 सूचनाऐं प्राप्त हुई जिसमें से 21 स्वीकृत एवं 32 सूचनाऐं ध्यानाकर्षण के लिए रखी गयी। नियम 53 के अन्तर्गत 57 सूचनाओं में से 6 स्वीकृत एवं 17 ध्यानाकर्षण के लिए रखी गयी। नियम 58 के अन्तर्गत 21 सूचनाओं में 11 सूचनाऐं स्वीकृत की गयी।
उन्होंने कहा कि सदन में 01 सरकारी संकल्प 04, असरकारी संकल्प, नियम 105 के अन्तर्गत 04 प्रस्ताव एवं 179 याचिकाऐं सदन के पटल पर रखी गयी। इस सत्र के दौरान 06 विधेयक एवं 02 अध्यादेश सदन के पटल से पारित हुए।
वर्ष 2018 के द्वितीय सत्र में कुल 1020 प्रश्न प्राप्त हुए जिसमें 159 तारांकित प्रश्नों में 60 उत्तरित हुए, 740 अतारांकित प्रश्नों में 349 उत्तरित हुए, 08 अल्प सूचित प्रश्नों में 04 अल्पसूचित प्रश्न उत्तरित किये गये।
विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने कहा कि 18 सितम्बर एवं 20 सितम्बर को सदन के पटल पर प्रश्नकाल के दौरान सभी तारांकित प्रश्नों को समयावधि पर उत्तरित कराया गया।
चार दिन चलने वाले विधान सभा सत्र के दौरान विधानसभा_अध्यक्ष पीठ से दिये गये विनिश्चयो
में लीसा मामले में सरकार को पीठ से निर्देश दिये गये की सही जानकारी सदन को दें। उन्होंने पीठ से निर्देश दिया कि परिसीमन को शहरी विकास और पंचायती राज विकास को समन्वय बनाये। अतिक्रमण पर विपक्ष द्वारा उठाये गये सवालो पर सरकार को समाधान निकालने के निर्देश दिये गये। विधानसभा सदस्यों के प्रोटोकॉल को लेकर सरकार को निर्देश दिये गये कि वे अधिकारियों को ताकीद करें। उन्होंने उत्तराखण्ड राज्य आन्दोनकारियों को लाभ-पेंशन सम्मान सुविधाऐं देने के लिये सरकार को एक समेकित एवं स्पष्ट नीति की अधिसूचना जारी कर प्रकरणों को निस्तारित करने के लिये कहा।