उत्तराखण्डी मर्कजियों को सीधा सा जबाब! पत्रकार अजय रावत अजय व चन्द्रेश योगी की बेबाक कलम बनी मिशाल।

(मनोज इष्टवाल)

गढ़वाली एक कहावत है- “एकन बिगाड़ी गाऊँ, सभ्यूँकु पड़ि नौऊं।” (एक ने बिगाड़ा गांव सभी का पड़ा नाम)। ऐसा ही कुछ उन मर्कजियों के साथ भी हो रहा है जो जनवरी से लेकर 31 मार्च तक निजामुद्दीन मरकज में शामिल हुए थे। यह सचमुच क्या बिडम्बना है कि कुछ देश के दुश्मन जो विदेशों से आयातित कोरोना वायरस का संक्रमण जानबूझकर लेकर आये थे या उन्हें यहां प्लांट किया गया था, उनके कारण अकेले उत्तराखण्ड के 1368 मर्कजियों के नाम सार्वजनिक हुए हैं जिन्हें लिस्ट में ढूंढ-ढूंढकर न सिर्फ हिन्दू सिख ईसाई वर्ग देखने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि मुस्लिम विरादरी भी नजरें गड़ाए नाम ढूंढने में लगी है कि कहीं मेरा रिश्तेदार, सगा सम्बन्धी, भाई-भतीजा या मित्र तो नहीं। क्योंकि जब अपने प्राणों पर बनकर आती है तो सभी अपनी सुरक्षा पहले ढूंढते है।

1-चन्द्रेश योगी। 2-अजय रावत अजय।

ये तो बात सगे सम्बन्धी, आपद मित्रों की है लेकिन अब इनके घरवाले भी इन्हें शक की नजर से देख रहे हैं। ये संक्रमण ग्रसित हुए कि नहीं लेकिन इतना जरूर है कि ये सभी भी दहशत में होंगे अगर सचमुच इनमें इंसानियत हुई तो।
इन्ही कुछ मुद्दों को इससे इतर अपनी कलम से बेहद बेबाक तरीके से सोशल साइट पर रखने वाले युवा पत्रकार अजय रावत अजय व चन्द्रेश योगी ने अपने अपने अंदाज में रखा है, जो यकीनन हम सभी को आइना दिखाते नजर आ रहे हैं।

पत्रकार अजय रावत ‘अजय’ ने सेक्युलरवाद के उन तमाम बुद्धिजीवियों को अप्रत्यक्ष रूप से निशाने पर लेते हुए लिखा है- “खींचो न कमानों को न तलवार निकालो, जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो” भले ही अकबर इलाहाबादी ने आदर्श मुस्लिम अखबार निकालते वक़्क्त यह शेर लिखा हो लेकिन आज..।

●●”डरो न क्षद्म सेकुलरों से, न मायने मानव अधिकार निकालो,
जब ऐसे जाहिल मुकाबिल हों तो तोप क्या हर हथियार निकालो”●●

आज हम जैसे हमख्यालों के जेहन में उन ज़ाहिल मौलवियों के लिए जितना गुस्सा भर पड़ा है उतनी ही कोफ़्त अपने उन सम्मानित साथियों से भी जिन्होंने सिर्फ और सिर्फ मोदी विरोध को अपनी बुद्धिजीविता का पैमाना बना लिया है। इसी पैमाने को ऊंचा रखने के फेर में हमारे अनेक विद्वान, वास्तव में विद्वान साथी मतिमन्द हो जाते हैं और आज भी ऐसे मित्र भले ही इस प्रकरण का विरोध कर रहे हों लेकिन आखिर में उनके शब्दों की धार इस मरकज़ से हटकर फिर मोदी अंधभक्ति जैसे जुमलों की तरफ मुड़ रही है।

अब आप मुझे भी अंध भक्त करार दें या फिरकापरस्त,, लेकिन इन ज़ाहिल और साजिशकर्ता मौलानाओं की इन हरकतों से भले आज देश खतरे के मुंहाने पर पंहुच गया हो लेकिन यदि सब ठीक रहा, हालात सामान्य हुए तो इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि इन तगबीली वालों , इन मरकजी वालों के दिन अच्छे नहीं रहने वाले, तब इन तथाकथित बुद्धिजीवियों के पास जोर-जुल्म पर बहुत कुछ लिखने को होगा,लेकिन सिर्फ अपनी भड़ास निकालने भर को.. इनाम में सिर्फ गालियां और जलालत….!

चन्द्रेश योगी ने भी अप्रत्यक्षवार करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बेहद तल्ख शब्दों के साथ शीशे पर उतरते हुए ऐसे प्रश्न खड़े किए हैं जिनका शायद ही उनके पास कोई जबाब हो। चन्द्रेश लिखते हैं-“मुझे घिन आने लगी है इस आदमी पर जो “आम आदमी” को कैश कराकर सत्ता पा बैठा …. और इसने दिल्ली को “आम “और “ख़ास ” में बाँट दिया।

कैश कराना इसकी मोडस ऑपरेंडी है ….कार्यशैली है।
कोई मरे …ये पैसे से कीमत लगाता है कोई असंतुष्ट हो ये पैसे से कीमत लगाता है तुरन्त कुछ न कुछ फ्री कर देता है
इसे व्यवस्था के आमूलचूल परिवर्तन से मतलब नही ये हर डैमेज को पैसे से कंट्रोल करना चाहता है

अब ये आप कह रहे हैं कि डॉक्टर के मरने पे एक करोड़ रूपये देगा …..भाई आप इतने बड़े फन्ने खां हो छह साल से दिल्ली को न्यूयॉर्क बना चुके हो आप ये क्यों नही कहते की हम किसी को मरने ही नही देंगे ??? प्रतीकात्मक रूप से ही सही झूठे ही सही लोगो को ये तो लगता कि आप पूरी तैयारी से हो …।यही तैयारी है आपकी कोरोना से लड़ने की ??
क्या हर डॉक्टर की बीवी ,माँ बाप उसे एक करोड़ रूपये का चेक समझे ??

डॉक्टर को आप एक करोड़ देंगे पर लाखों मजदूरों को आप मामूली सी छत ,आश्रय और खाना तो दूर एक झूठा ही सही रुकने का आश्वाशन नहीं दे सके कितने दोगले हो आप कितने चतुर चालाक हो आप, तुमने रातों रात दिल्ली खाली होने दी
उन लाखो मजदूरों में जो आपकी दिल्ली से आपकी इरादतन सुनिश्चित योजना से भागे हैंं। उनमें से कोई मरा तो कितने करोड़ दोगे आप ??
क्या डॉक्टर की जान और अन्य लोगो की जान का वेल्युएशन करवाया है आपने …???

नाई की जान के इतने ,रेहड़ी वाले की जान के इतने ,ड्राइवर की जान के इतने ,एलजी की जान के इतने विधायक और सांसद की जान के इतने …।

आपकी हरकतें देख तो आप का वोटर भी क्या मन ही मन नहीं कहेगा मेरी जान उसकी जान से सस्ती कैसे? क्योंकि में आम आदमी हूँ हूँ खास आदमी नही ????

आम आदमी पार्टी का सर्बोच्च नेता दिल्ली का बेटा ,इंसान को “आम “और “ख़ास “में बाँट बैठा …! आम आदमी की जान पांच लाख रूपये, खास आदमी की जान एक करोड़ रूपये ।

डॉक्टर क्या कर लेगा अगर सफाई वाला रोज सड़कें, शहर न साफ करे और तो और ओपीडी, इमरजेंसी, आई सी यू और ऑपरेशन थियेटर साफ न करे उसकी जान की कोई कीमत नहीं लगाई तुमने ???

डॉक्टर, पुलिस छोडो आप और हम क्या कर लेंगे अगर बिजली वाले काम न करें तो, आज दुनिया खत्म होने से पहले खत्म हो जायेगी अगर बिजली रुक गयी तो…? पर बिजली विभाग के लाखों कर्मचारियो ने थर्मल,न्यूक्लियर और हाइड्रो पावर प्लांट वालो ने हमारी बिजली बंद नही होने दी। उनकी जान की कीमत की वेल्युशन नहीं केजरीवाल तुमने ???

हज़ारों लोग सड़कों पर भाग रहे थे और असाधारण बहुमत की तुम्हारी सरकार उन्हें भागने दे रही थी। तुम शायद उस वक्त खास आदमी की मौत की वेल्युएशन का एस्टिमेट बना रहे थे।

ये जो दिल्ली है न इन्हीं भागते हुए जानवरों के खून और पसीने की मेहनत से बनी है । ये मजदूर न हों तो दिल्ली को चाय पिलाने वाला तक नहीं रहेगा कोई …। तुम न खा सकोगे न हग मूत सकोगे, और ये आम इंसान न होता तो तुम सत्ता में भी नहीं होते।

एक को तुम एक करोड़ बाँट देने की घोषणा करते, फाइव स्टार ललित में ठहराने की बात करते हो और लाखों ठहरे हुए मजदूरों को एक तिरपाल और खाने का आश्वाशन तक नही दे सके वे जहां महीनों से थे वहां दो दिन और तक ठहर नहीं सके ।

तुमने अपने छोटे से हित के लिए पूरे देश को खतरे में धकेल दिया, तुम पर इरादतन हत्या अराजकता के मुकदमे कायम होने चाहिए थे ।

पर तुम चालाक हो तुम जान चुके हो इस देश में मूर्खता कैश करानी होती है भावनायें कैश करानी होती है और ये काम तुम बखूबी कर रहे हो ।

अभी लगे हाथों ये घोषणा भी कर दो कि सिसोदिया के मरने पे कितने करोड़ दोगे, निजामुद्दीन मरकज को कितना करोड़ दोगे, विधायकों के मरने पे कितना करोड़ दोगे?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *