उत्तराखंड से भाजपा के लोकसभा के पांचो प्रत्याक्षी घोषित! भगत दा व खंडूरी बदले गए..!
नयी दिल्ली/देहरादून 21 मार्च 2019 (हि. डिस्कवर)

भाजपा की केन्द्रीय कार्यकारिणी द्वारा ऐन होली के अवसर पर उत्तराखंड से लोकसभा की पाँचों प्र्त्याक्षियों को घोषित कर होली की मुबारकबाद दी है! यह तो पूर्वानुमान था कि पौड़ी लोकसभा सीट से जनरल बी.सी. खंडूरी चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि वे यह बात पहले भी कह चुके थे! नैनीताल से चुनाव लड़ने का यों तो पूर्व में भगत सिंह कोश्यारी भी मना कर चुके थे लेकिन उन पर विश्वास नहीं किया जा रहा था क्योंकि वे इससे पूर्व भी ऐसा कह चुके थे इसलिए आम लोगों की अवधारणा थी कि कोश्यारी को नैनीताल से प्रत्याक्षी बनाया जा सकता है लेकिन भाजपा के उत्तराखंड अध्यक्ष अजय भट्ट का संघ से नाता व पार्टी पॉलिटिक्स रंग लाई और वे नैनीताल से टिकट झटकने में सफल हुए!
हरिद्वार सीट पर अटकलों का दौर जारी था लेकिन डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के आगे मदन कौशिक की टिकट की दावेदारी पेश करते ही साफ़ हो गया था कि निशंक की अब टिकट की दावेदारी सुनिश्चित हो गयी है! शायद यह निशंक का बड़ा राजनीतिक दांव था क्योंकि उन्होंने आचार संहिता लागू होने से काफी पहले सार्वजनिक घोषणा कर दी थी कि अगर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरिद्वार से चुनाव लड़ना चाहें तो वह उनके लिए यह सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं! यहीं बात समाप्त नहीं हुई फिर अचानक प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरिद्वार सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का एक साथ कई मंचों पर दिखाई देना व कई योजनाओं के शिलान्यास पर साथ -साथ होना भी तश्वीर साफ़ कर गया था! सूत्रों की माने तो डॉ. निशंक के कार्यालय में प्रचार सामग्री पहले ही पहुँच चुकी थी जिस से यह अनुमान लगाना सरल हो गया था कि निशंक को केंद्र से हरी झंडी मिल चुकी है!
वहीँ पौड़ी सीट पर तीरथ सिंह रावत की दावेदारी को सभी हलके में ले रहे थे क्योंकि वे संघ व पार्टी के एक ईमानदार कार्यकर्ता के रूप में बिना हाई लाइट हुए अपने काम को अंजाम दे रहे थे! एक बार यह लगने लगा था कि पार्टी उनकी जगह शौर्य डोवाल को टिकट देगी और शायद तीरथ सिंह रावत इस बात पर मन भी बना चुके थे! वहीँ ज्यादात्तर लोगों का मानना था कि भाजपा कर्नल अजय कोठियाल को तबज्जो देगी लेकिन यह सिर्फ लोगों का मानना था! सूत्रों की मानें तो कर्नल अजय कोठियाल कभी दौड़ में शामिल ही नहीं थे क्योंकि संघ के खुफिया तंत्र के अनुसार कर्नल कोठियाल कभी कांग्रेस के सम्पर्क में थे तो कभी भाजपा के तो कभी उस धड़े के जो भाजपा व कांग्रेस दोनों से नाराज चल रहा था और अलग गठबंधन की तैयारी में था! उसी गठबंधन से टूटे लोग जनरल खंडूरी के पुत्र मनीष खंडूरी के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए ! यही कारण रहा जिससे कर्नल के प्रति पार्टी के अंदरूनी सर्वे में उन पर सवालिया निशान लगते रहे और वे दौड़ से बाहर हो गए!
टिहरी सीट पर उम्मीद जताई जा रही थी कि पार्टी बड़ा निर्णय लेगी क्योंकि सबको यह लग रहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पार्टी उम्मीदवार के रूप में भाजपा की ओर से टिहरी संसदीय सीट पर नया चेहरा होंगे लेकिन महारानी की कुछ समय से क्षेत्र में सरगर्मी ने जता दिया था कि हाई कमान ने उन्हें जनता के बीच संवाद बनाए रखने का आदेश दे दिया है! विजय बहुगुणा के टिकट से दूर होने का यह भी कारण समझा जा रहां है कि उन्होंने भाजपा में शामिल होने के बाद कभी भी जनता के बीच जाना उचित नहीं समझा और जनता के बीच उनके संवाद न होने की वजह से पार्टी पॉलिटिक्स को यह लगने लगा था कि टिहरी से उनका जनाधार घटने लगा है! साकेत के कांग्रेस में शामिल होने का कारण भी शायद यही रहा हो कि उनके लिए विजय बहुगुणा ने टिकट की मांग की हो !
अल्मोड़ा सीट पर रेखा आर्या की दावेदारी सांसद भगत सिंह कोश्यारी से जुडी हुई मानी जा रही थी और एक बार रेखा आर्या को लग भी रहा था कि उन्हें शायद अजय टम्टा के स्थान पर प्राथमिकता दी जाय लेकिन अजय टम्टा विगत एक साल से जिस तरह जनता के बीच थे उस से पहले ही तश्वीर साफ़ थी कि अजय टम्टा के अलावा और कोई चेहरा अल्मोड़ा से भाजपा के पास इतना मजबूत नहीं है जो इस चुनाव के समीकरण बदल सके! यही कारण था कि केन्द्रीय कपड़ा राज्य मंत्री के रूप में अजय टम्टा भले ही आइकन नेता न बन पाए हों लेकिन जनता के काम वे निरंतर करते रहे हैं व उनसे उनका संवाद लगातार जुडा रहा!
बहरहाल होली पर भाजपा के पाँचों प्र्त्याक्षियों की घोषणा के बाद अब कांग्रेस के पाले में गेंद हैं कि वे क्या करते हैं ? क्या वे पौड़ी से कर्नल कोठियाल को अपने वश में कर टिकट देंगे या फिर खंडूरी पुत्र मनीष को! या फिर साकेत बहुगुणा की जगह टिहरी से कोठियाल को दमदार प्रत्याक्षी के रूप में उतारेंगे! यह तो तय है कि अल्मोड़ा से प्रदीप टम्टा चुनाव लड़ सकते हैं ! लेकिन हरिद्वार पौड़ी नैनीताल व टिहरी इन चार सीटों पर कांग्रेस को अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा क्योंकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पूर्व में ही चुनाव लड़ने की अनिच्छा जता चुके हैं!