उत्तराखंड में एक छतरी के नीचे आये सभी वेब पोर्टल….।

तीसरे विकल्प के रूप में जिस तरह पत्रकारिता के क्षेत्र में सोशल साइट्स पर न्यूज़ वेब पोर्टल उभरकर सामने आए हैं उसको भांपते हुए प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बड़े बड़े मगरमच्छों ने भी अपने फॉरमेट में बदलाव करते हुए इसे वेब मीडिया के रूप में लाना शुरू कर दिया है। 2014 में भाजपा की रणनीति कहें या मोदी शाह का चुनावी टारगेट…! बहरहाल जो भी रहा हो लेकिन सोशल साइट्स व वेब न्यूज़ ने नई क्रांति ला दी। तब से लेकर अब तक खबरों का ढर्रा ही बदल गया है क्योंकि अब लोग अखबार या टीवी न्यूज से पहले लाइव कर दे रहे हैं। अब आलम यह हो ग़या है कि सरकारें हरदम वेब न्यूज़ पोर्टल्स की हर खबर पर नजरें गढ़ाए बैठी होती हैं। वेब न्यूज़ पोर्टल वालों को भी अब लगने लगा है कि वक्त के साथ उन्हें अपने अधिकारों के प्रति सजगता से आगे बढ़ना होगा क्योंकि अब आने वाला कल पेपरलेस होने जा रहा है ऐसे में भला वेब न्यूज़ पोर्टल कहाँ चुप बैठने वाले हैं। ऐसे में उत्तराखण्ड के सभी न्यूज़ पोर्टल चलाने वाले एक मंच पर आ कर एक ऐसा संगठन तैयार कर रहे हैं जिसके माध्यम से वह सरकार के समक्ष अपनी बातें रख सकें। क्यों वेब न्यूज़ पोर्टल वालों को इसकी जरूरत पड़ी इस सम्बंध में पत्रकार अवधेश नौटियाल जानकारी देते हुए बताते हैं:-

*उत्तराखंड में वेब मीडिया एसोसिएशन के गठन का उद्देश्य…..।

*उत्तराखंड में न्यूज़ पोर्टलों को टीवी मीडिया व प्रिंट मीडिया के बराबर खड़ा करना

1- उत्तराखंड न्यूज़ पोर्टल संचालित करने वाले वेब मीडिया के पत्रकारों ने देहरादून में आज एक बड़ी बैठक की और बदलते दौर में उत्तराखंड के हितों की रक्षा के लिए अपनी भूमिकाओं के बारे में नए सिरे से समीक्षा की।

2- सभी पत्रकार साथियों ने एक सुर में कहा एकजुट होकर हम सभी को अपने हितों की लड़ाई लड़नी होगी।

3- लगभग 3 घंटे चली इस बैठक के इस दौरान वेब मीडिया के पत्रकारों ने अपनी जिम्मेदारी और उत्तराखंड के पाठकों द्वारा मिली ताकत के बारे में गहन चिंतन मनन किया।

4- बैठक में सभी पत्रकार इस नतीजे पर एकमत थे कि आज लोग सबसे अधिक और सबसे त्वरित सूचनाएं वेब मीडिया से ही प्राप्त करते हैं, लिहाजा वेब मीडिया पत्रकारों के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारियां खुद-ब-खुद आ गई हैं।

5- सभी पत्रकारों ने यह निर्णय लिया कि वेब मीडिया के पत्रकारों को समय रहते अपने लिए आचार संहिता बनानी होगी, ताकि ज्यादा व्यवस्थित और अनुशासित तरीके से उत्तराखंड के हितों की रक्षा के लिए अपनी भूमिका निभाई जा सके।

6- इस बात पर भी चर्चा की गयी कि आज जो भी व्यक्ति न्यूज़ पोर्टल संचालित कर रहे हैं, उनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। इसलिए इस बात की आवश्यकता महसूस की गई कि न्यूज़ पोर्टल बनाने के लिए पहले या बाद में राज्य सूचना विभाग अथवा एक नियामक तंत्र के अंतर्गत पंजीकरण अनिवार्य किया जाना चाहिए ताकि राज्य में कितने न्यूज पोर्टल सक्रिय है, इसका ब्योरा संकलित किया जा सके।

7- राज्य सूचना विभाग से विज्ञापनों के लिए एंपैनलमेंट के तौर तरीकों में भी सुधार किए जाने की आवश्यकता महसूस की गई।

8- बैठक में वेब मीडिया के पत्रकारों को मान्यता प्रदान करने के विषय में भी परिचर्चा की गई।

9- गौरतलब है उत्तराखंड इक्का-दुक्का राज्यों में शामिल है जहां सबसे पहले वेब मीडिया के लिए विज्ञापन नियमावली बनाई गई है। इसके लिए एक दशक से विभिन्न सरकारों के साथ कई दौर की बैठकों का वाकिया भी याद किया गया।

10- बैठक में वेब मीडिया के पत्रकारों ने इस बात पर एकजुट होकर सहमति जताई कि वे उत्तराखंड के हितों के लिए एकजुट होकर अपना योगदान देंगे और चाहे सरकार किसी भी दल की क्यों न हो, वे उत्तराखंड के हितों के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।

11- पत्रकारों ने इस बात को भी महसूस किया और गंभीरता से इस बात पर चर्चा की कि वे किसी भी घटना के प्रति जिस दृष्टिकोण से रिपोर्टिंग करते हैं, दूसरे दिन या शाम को चैनल और अखबार उस दृष्टिकोण की उपेक्षा नहीं कर सकते, इसलिए वेब मीडिया की भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।

12- बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि उत्तराखंड के व्यापक जनहित के मुद्दों पर वेब मीडिया के सभी पत्रकार इस बात पर पहले रायशुमारी कर लेंगे कि उनका किसी मुद्दे पर क्या दृष्टिकोण है।

13- आज की बैठक में इस बात पर भी निर्णय लिया गया कि वेब मीडिया के पत्रकारों का उत्तराखंड में सिर्फ एक ही संगठन होगा और समय-समय पर नए प्रतिनिधियों को दायित्व दिया जाता रहेगा।

14- जल्दी ही वेब मीडिया के पत्रकारों का एक बड़ा सम्मेलन देहरादून मे आयोजित किया जाएगा।

15- एक और सबसे बड़ी चुनौती और जिम्मेदारी खबरों के प्रति विश्वसनीयता बनाए रखने की महसूस की गई।


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