उत्तराखंड क्रांति दल का 5 सूत्रीय मांग पत्र।

उत्तराखंड क्रांति दल का महामहिम राज्यपाल के नाम 5 सूत्रीय मांग पत्र –

सेेवामें
महामहिम राज्यपाल महोदय
उत्तराखंड
विषय- प्रदेश में पांच महत्वपूर्ण ज्वलंत मुद्दों पर ध्यान आकर्षित कराने हेतु।
महोदय जैसा की सर्वविदित है कि उत्तराखंड राज्य एक नवगठित राज्य है तथा अभी अपनी शैशव अवस्था में है। उत्तराखंड राज्य गठन को 17 वर्ष होने को है किंतु इन 17 वर्षों में राष्ट्रीय दलों कि अदूरदर्शिता तथा गैर-जिम्मेदाराना नीतियों के चलते यह प्रदेश पूर्ण रुप से बर्बाद होने के कगार में खड़ा है।जो कि एक चिंतन का विषय है।उत्तराखंड क्रांति दल ने पृथक राज्य उत्तराखंड के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी है तथा 42 साथियों की शहादत के उपरांत राज्य गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। किंतू बहुत दुख का विषय है कि जिस अवधारणा को लेकर राज्य गठन की लड़ाई लड़ी गई थी,उन अवधारणाओं को राष्ट्रीय दलों की राज्य विरोधी नीतियों के चलते दरकिनार कर दिया गया है। जिससे राज्य के सामने भविष्य में एक भयावह स्थिति पैदा होने का खतरा मंडरा रहा है।राज्य में आर्थिक संकट के साथ रोजगार तथा किसानों के भविष्य के साथ सैकड़ों गांव के अस्तित्व को खतरा तथा अनेक सामाजिक बुराइयों के बढ़ने के प्रबल आसार है। अगर समय रहते इन पर काबू न पाया गया तो यह समस्या विकराल रूप ले सकती हैं। उत्तराखंड क्रांति दल के सामने पहले राज्य बनाने की चुनौती थी और आज राज्य बचाने की चुनौती है। पिछले लगभग 17 वर्षों से प्रदेश की राजनीति में सत्तासीन कांग्रेस तथा भाजपा इन ज्वलंत मुद्दों पर आंखें बंद किए हुए हैं तथा मूकदर्शक बनी हुई है। अतः उत्तराखंड क्रांति दल निम्न बिंदुओं को आपके समक्ष प्रमुखता से रखते हुए महोदय से उल्लेखित बिंदुओं में सकारात्मक पहल की उम्मीद करता है। कृपया क्रमवार बिंदुओं की ओर ध्यान देने का कष्ट करें।
1- माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा सन 2017 के विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड के चुनावी दौरे के दौरान राज्य की जनता से उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड दोनों राज्यों में सरकार बनवाने की अपील करी थी और डबल इंजन की सरकार से उत्तराखंड के अच्छे भविष्य के सपने दिखाए थे।किंतु दोनों प्रदेशों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते साथ ही केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की सरकार के इशारे पर उत्तराखंड के वह सारे संसाधन जिनसे प्रदेश में विकास होने की उम्मीद थी, को उत्तराखंड सरकार ने उत्तर प्रदेश के हाथों में सौंप दिया। उत्तराखंड राज्य की लगभग 75% परिसंपत्तियां जिनमें बांध जलाशय नहरे तथा लगभग सारे अतिथि गृह मनमाने रूप से उत्तर प्रदेश के हवाले कर दिए गए।जबकि राज्य के समस्त प्राकृतिक संसाधनों पर संवैधानिक रूप से राज्य सरकार का अधिकार होना चाहिए। उत्तराखंड राज्य के संसाधन को उत्तर प्रदेश के हवाले करने में मनमानेपन का यह आलम रहा कि जो नहरें उत्तराखंड से ही शुरु होकर उत्तराखंड में ही समाप्त हो जाती है,उनका अधिकार भी उत्तर प्रदेश को दे दिया गया। उत्तराखंड क्रांति दल का इस बारे में स्पष्ट मानना है कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें तथा उत्तराखंड में मात्र 5 लोकसभा सीट होने के कारण उत्तराखंड के संसाधन उत्तर प्रदेश को सौंप कर खुश किया जा रहा है, ताकि भारतीय जनता पार्टी की भविष्य में केंद्र में सरकार बनाने की राह आसान हो जाए।उत्तराखंड क्रांति दल महोदय से निवेदन करता है कि केंद्र सरकार के इस सौतेले व्यवहार से उत्तराखंड राज्य को बचाने के लिए महोदय की स्तर से हस्तक्षेप किया जाए तथा राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए कि परिसंपत्ति बंटवारे के मामले में वह श्वेत पत्र जारी करें।
2- महोदय उत्तराखंड सरकार द्वारा 40 हजार करोड़ रुपए का बजट का लक्ष्य रखा गया है जिसमें से 2300 करोड़ का राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य आबकारी द्वारा रखा गया है जो की कुल बजट का महज 5:75 % है अर्थात सरकार 94. 25% राजस्व अन्य संसाधनों से प्राप्त करेगी। इसका मतलब यह निकलता है कि अगर राजस्व प्राप्ति के अन्य संसाधनों पर थोड़ी सी मेहनत और की जाए तो शराब के राजस्व की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड प्रदेश में पिछले कई माह से राज्य की जनता शराब के विरोध में आंदोलनरत है। उत्तराखंड क्रांति दल तथा उत्तराखंड की जनता से प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी के पक्ष में है और सड़कों पर लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन सरकार द्वारा दमनकारी नीति अपनाते हुए राज्य आंदोलन में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाली मात्र शक्तियों के ऊपर शराब का विरोध करने पर प्रदेश में सैकड़ों मुकदमे दर्ज कर चुकी है। उत्तराखंड देवभूमि में नारी का हमेशा सम्मान रहा है तथा शराब जैसी सामाजिक बुराई से सबसे ज्यादा पीड़ित मातृ शक्ति एवं युवा शक्ति ही होती है। अतः महोदय से उत्तराखंड क्रांति दल गुजारिश करता है कि अपने हक की लड़ाई लड़ने वाली मात्र शक्तियों के ऊपर दर्ज फर्जी मुकदमे अविलंब हटवाने के लिए प्रदेश सरकार को निर्देशित करने की कृपा करें।
3- महोदय पूरे देश में किसानों की दयनीय स्थिति किसी से छिपी नहीं है देश में किसानों द्वारा कर्ज के बोझ के कारण आत्महत्याओं का दौर लगातार जारी है। उत्तराखंड राज्य भी इस दंश से अछूता नहीं है। उत्तराखंड राज्य में अब तक कुमाऊं मंडल मैं 6 तथा गढ़वाल मंडल में एक किसान द्वारा कर्ज के तले दबे होने के कारण आत्महत्या की गई है जो कि इस पर्वतीय राज्य के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। 17 वर्षों से राज्य में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय दलों द्वारा राज्य में किसानों के लिए उन्नत कृषि के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। जिसके कारण किसानों पर कर्ज का दबाव बढ़ता जा रहा है। राज्य सरकारी किसानों को कार्य से राहत देना तो दूर की बात बल्कि किसानों का बकाया भुगतान भी अदा नहीं कर पा रही हैं।अतः उत्तराखंड क्रांति दल महोदय से अपेक्षा करता है कि प्रदेश सरकार को अन्य राज्यों की भांति किसानों को कर्ज से मुक्त करने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए निर्देशित किया जाए तथा बैंकों द्वारा आरएसी जारी करने पर तत्काल रोक लगाई जाए।
4- उत्तराखंड राज्य में अभी तक कोई ठोस युवा नीति ना होने के कारण प्रदेश में पढ़े लिखे बेरोजगारों की फौज बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक लगभग 42000 पढ़े लिखे बेरोजगार युवा इस समय राज्य में नौकरी के लिए आंदोलनरत है। इनमें उपनल, रमसा, गेस्ट टीचर तथा प्रशिक्षित महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों सहित दर्जनों शिक्षित और प्रशिक्षित बेरोजगार संगठन है। पूर्ववर्ती तथा वर्तमान राज्य सरकारों द्वारा इन को अंधेरे में रखकर मात्र कोरे आश्वासनों से गुमराह किया जा रहा है। यह बहुत चिंता का विषय है। इस मसले पर सरकार की असंवेदनशीलता के चलते आंदोलनरत कर्मचारियों के परिवार पर भुखमरी का संकट गहराता जा रहा है। पता उत्तराखंड क्रांति दल महोदय से अपेक्षा करता है कि राज्य सरकार को उक्त विषय पर ठोस कदम उठाने के लिए निर्देशित करने की महान कृपा करें।
5- महोदय उत्तराखंड के 3 जिलों पिथोरागढ़ अल्मोड़ा तथा चंपावत के 123 गांव पर पंचेश्वर बांध के निर्माण से विस्थापन का खतरा मंडरा रहा है। जबकि 2007 वह 2012 की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा पूर्व में यह घोषणा की गई थी की उत्तराखंड में ऐसे कोई बांध नहीं बनाए जाएंगे जिनसे विस्थापन व पुनर्वास का सवाल खड़ा हो। उल्लेखनीय है कि इस तरह की बड़े बांधों से पूर्व में ही पलायन की मार झेल रहे उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के विरान होने का खतरा है। लेकिन वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा पंचेश्वर बांध को हरी झंडी देकर सरकार अपने पूर्व के वादे से मुकर रही है। इसके लिए नेपाल तथा भारत की सहमति से पंचेश्वर बांध प्राधिकरण का गठन किया जा चुका है। 48000 किलोमीटर लंबे तथा 80 किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस बांध से उत्तराखंड की 3 जिलों में 123 गांव के विस्थापन का खतरा बढ़ चुका है। अतः उत्तराखंड क्रांति दल महोदय से मांग करता है कि महाकाली नदी (भारत में शारदा नदी) में प्रस्तावित इस बांध के प्रस्ताव को तुरंत निरस्त किया जाए।
महोदय उक्त मांगों को लेकर आज उत्तराखंड क्रांति दल के संपूर्ण प्रदेश से एकत्रित हुए हजारों कार्यकर्ताओं द्वारा कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मृति स्थल में एक दिवसीय धरना इस आशय के साथ दिया गया कि महोदय द्वारा उक्त पांचो जनहित की मांगों पर ध्यान देते हुए राज्य सरकार को अविलंब इनका निस्तारण करने का निर्देश देने की महान कृपा की जाएगी।
धन्यवाद
आपकी सकारात्मक पहल की प्रतीक्षा में-. दिवाकर भट्ट
केंद्रीय अध्यक्ष
उत्तराखंड क्रांति दल
उत्तराखंड

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