उत्तराखंड की आईडीपीएल में बनने वाली दवाइयों की विश्व स्तर पर मांग! क्या भारत सरकार इस आपातकाल में दुबारा स्थापित कर सकेगी?
(मनोज इष्टवाल)
आईडीपीएल अर्थात इंडियन ड्रग्स फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की स्थापना के पीछे हिन्दुस्तान के गरीबों को सस्ती दवाइयां मुहैया करवाना था! इसी उद्देश्य को देखते हुए भारत के तत्कालीन प्रधानमन्त्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने विश्व में भारत के सबसे अच्छे देश के रूप में चिहिन्त सोबियत संघ के सहयोग से गरीबों को सस्ती दवाएं मुहैया कराने के मकसद से ऋषिकेश के वीरभद्र 1962 में इंडियन ड्रग्स फार्मास्युटिकल लि. (आईडीपीएल) फैक्ट्री की स्थापना की व दोनों देशों के आपसी सहयोग से ऋषिकेश स्थित वीरभद्र की 899.53 एकड़ 1967 में फैक्ट्री में उत्पादन शुरू किया। इस फैक्ट्री में बनने वाली दवाइयों देश की आर्थिकी की रीढ़ थी लेकिन बर्ष 1992 में जाने किस राजनीति के चलते इस फैक्टी को रूग्ण इकाई घोषित करने के साथ 1996 में उत्पादन सीमित कर धीरे-धीरे लगभग बंद कर दिया है और वर्तमान में आईडीपीएल की 899.53 एकड़ में से 833.25 एकड़ भूमि राज्य सरकार को हस्तांतरित कर दी गई है। यह किस योजना के लिए स्थानांतरित हुई कहा नहीं जा सकता लेकिन आज क्षेत्रीय विधायक व विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर कोरोना नामक इस वैश्विक महामारी में इस फैक्ट्री को पुन: स्थापित करने की मांग की है!

विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि वर्तमान में कोरोना वैश्विक महामारी में सर्वाधिक प्रयोग में लाये जाने वाली दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के निर्माण में आईडीपीएल अग्रणी रही है, उन्होंने जानकारी देते हुए पत्र में लिखा कि गुजरात के सूरत में 1985 में फैले प्लेग के दौरान कोई संस्थान दवा बनाने को तैयार नहीं हुआ, ऐसी स्थिति में आईडीपीएल से बनाकर प्लेग की सारी दवाओं की आपूर्ति की गई थी। इसलिए इस महामारी के दौर में आईडीपीएल को पुर्नस्थापित करने के लिए कोशिश की जानी चाहिए ताकि इसकी इकाई में उत्पादन प्रारम्भ हो व विश्व के भूटान सहित ओमान, कजाकिस्तान, स्वीडन, अफगानिस्तान, ईराक, दक्षिण अफ्रिका, इटली, संयुक्त अरब अमीरात व अमेरिका लगभग विश्व के 70 देशों में मांग दवा मांग की पूर्ती की जा सके!
ज्ञात हो कि आईडीपीएल ने शुरुआती डेढ़ दशक में यहां पैंसिलीन, स्ट्रेप्टोमाइसिन, टेट्रासाइक्लीन, एंटी फंगल टैब्लेट जैसी महत्वपूर्ण दवाएं तैयार करके पूरे देश में भेजी जाती थी। इन दवाइयों के अलावा कई सस्ती जीवनरक्षक और सस्ती दवाएं बनाने वाली इस कंपनी में पांच हजार स्थायी कर्मचारी थे!

1967 से लेकर 1980 के आसपास तक आईडीपीएल का बेहतर संचालन हुआ और इसने देश की अर्थ व्यवस्था में भी अपना अग्रणी योगदान रखा। इस लिहाज से यहाँ की बनी सस्ती दवाइयां आसानी से गरीबों को मिल जाया करती थी लेकिन उदारीकरण के दौर में उदारीकरण के दौर में सार्वजनिक संस्थानों से सरकारों के हाथ खींचने और प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा देने का नतीजा आईडीपीएल ने भी भुगता जिसके कारण सन 1992 में आईडीपीएल को बीमार इकाई करार दिया गया, इसे बचाने की मुहीम में कर्मचारियों ने कई आन्दोलन भी किये लेकिन सरकार की हठधर्मिता के कारण कर्मचारियों को जबरन रिटायरमेंट दिया जाने लगा! इस से जहाँ एक ओर 5000 कर्मचारियों की यह फैक्ट्री देखते ही देखते मानवसंसाधनों के अभाव में अपना उत्पादन करने में अक्षम रही वहीँ दूसरी ओर प्रबन्धन से इसे प्रोडक्शन विहीन करार देकर ब्यूरो आफ इंडस्ट्रीयल फाइनेंशियल रिकंस्ट्रशन (बीआईएफआर) को रेफर कर दिया।
राज्य निर्माण के बाद पूरी आईडीपीएल कालोनी के जहाँ हजारों क्वाटर्स खाली पड़े हैं वहीँ कुछ लोग यहाँ जबरन कब्जा कर बैठे हुए हैं! यह आश्चर्यजनक है कि जिस आईडीपीएल को रुग्ण इकाई घोषित कर उसका उत्पादन बंद कर दिया गया था वही फैक्ट्री बर्ष 2013-14 में आर्डर मिलने पर 22 करोड़ रुपये की दवाओं का उत्पादन किया जो करीब दो दशक का रिकॉर्ड उत्पादन है। यह उत्पादन कंपनी में 25 वर्ष पहले होता था। आईडीपीएल दवाओं को एक्सपोर्ट भी कर सकने की स्थिति में आ गयी थी, लेकिन फिर जाने क्या हुआ कि इसे छिन्न-भिन्न करने में उतारू राजनीति ने न सिर्फ 5 हजार परिवारों की रोजी रोटी बंद कर दी बल्कि जबर्दस्त उत्पादन देने के बाबजूद भी इसकी ईकाई को पुनर्स्थापित करने को लेकर मुंह फेर दिया।
ज्ञात हो कि आईडीपीएल में बनने वाली दवा की विश्व भर में आज मांग है! विगत दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी इसकी मांग की थी! अमेरिकी प्रशासन ने COVID 19 संकट से निपटने के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन को एक गेम-चेंजर ड्रग माना है, हालांकि इसके उपयोग को लेकर चिकित्सा जगत में अभी भी आम सहमति नहीं है। भारत *हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन का सबसे बड़ा उत्पादक है।

अमेरिका के लिए HCQ देने पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रतिक्रिया दी है ।एक ट्वीट में उन्होंने कहा, “विषम परिस्थितियों में दोस्तों के बीच करीबी सहयोग की आवश्यकता होती है।” एचसीक्यू के फैसले पर “भारत और भारतीय लोगों” को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा, “इसे भुलाया नहीं जाएगा!” पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा, “इस लड़ाई में सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि मानवता की मदद करने के लिए आपके मजबूत नेतृत्व को धन्यवाद।”
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विगत बुधवार को ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मारिज पायने और स्पेन के विदेश मंत्री अरंचा गोंजालेज से HCQ सहित COVID 19 संकट पर बात की! बता दें कि स्पेन ने भारत को 2 महीने पहले हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन का ऑर्डर दिया था।
अब जबकि क्षेत्रीय विधायक व उत्तराखंड विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को इस फैक्ट्री में बनने वाली जीवन रक्षक दवाइयों के बारे जानकारी देते हुए इसे फिर से प्रारम्भ करने की सिफारिश की है, ऐसे में यह देखना होगा कि देश के प्रधानमन्त्री इस पर क्या निर्णय ले पायेंगे!