इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब देवडोली ने खुद ही ढूंढें चोर! कंसेरू गाँव में घटी अद्भुत घटना!

इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब देवडोली ने खुद ही ढूंढें चोर! कंसेरू गाँव में घटी अद्भुत घटना!

 
(मनोज इष्टवाल)
उन विज्ञान के युग में जी रहे विज्ञान वर्ग के अधिकारियों, विद्यार्थियों के लिए यह खबर बिशेषकर लिखनी महत्वपूर्ण हो गयी है जिन्होंने यह मानना ही छोड़ दिया है कि प्रकृति को संचालित करने के लिए यहाँ कोई देवी देवता होते भी है! एड़ी आंचरी भूत प्रेत कुछ वायुमंडल में वायु के साथ विचरण करते हैं! 
यह खबर विगत दो बर्ष पूर्व की उत्तरकाशी जिले के रवाई घाटी के कंसेरू गाँव की है जहाँ वर्तमान में लगभग 150 परिवार रहते हैं! यह गाँव यूँ तो पहले ही ऐतिहासिक कहा जा सकता है क्योंकि इसने ऐसे कई कीर्तिमान पूर्व से अब तक बनाए हैं! सन 1930 में इसी गाँव के दयाराम रवांल्टा राजशाही के विरुद्ध तिलाड़ी काण्ड के नायक रहे! यह पहला ठाकुरों का ऐसा गाँव है जहाँ शराब पूरी तरह वर्जित है! यह 99.99 प्रतिशत सवर्ण गाँव है फिर भी एक मात्र हरिजन परिवार के सदस्य को इस गाँव ने निर्विरोध प्रधान बनाया हुआ है! 

(ज्वेलर्स की दूकान खुलवाती देव डोली)
कंसेरू गाँव के जाने ऐसे कितने उदाहरण हैं जो ऐतिहासिक कब बन गए ग्रामीण शायद ही यह सब जानते हों! अब एक और ऐतिहासिक घटना ने कंसेरू का नाम पुनः सुर्ख़ियों में ला दिया है! यह ऐसी घटना है जो शायद इतिहास में पहली बार हुई है! अभी हफ्ता भर पहले एक शादी के जश्न के बाद पता चला कि कंसेरू के माँ भगवती मंदिर से उसके आभुषण व नगदी चोरी हो गयी है! रिपोर्ट भी दर्ज हुई लेकिन नतीजा सिफर रहा! आखिर देवडोली बाहर निकाली गई ! लोगों ने धूप-दीप कर डोली से निवेदन किया कि अब हम पूजा कैसे करें कृपया हमारा मार्ग दर्शन करें! देव पशुआ उतरा और  माँ भगवती व बाबा बौखनाग देवता के मन्त्र चारित हुए ढोल बजे और डोली ज्यों ही ग्रामीणों के कन्धों में सवार हुई डोली तीव्रता से गाँव की सरहद छोडती हुई बडकोट बाजार के लिए रवाना हुई! उत्सुकता वश जो ग्रामीण जैसा था वैसे ही देव डोली के पीछे लपक पड़ा! डोली के साथ ढोल और भारी हुजूम जब बडकोट बाजार पहुंचा तो पूरा बाजार कौतूहलतावश उमड़ पड़ा!

(ज्वेलर्स को पकड़कर थाणे ले जाती पुलिस)
मां भगवती की डोली ने गांव में झुमना शुरू कर दिया और गांव से नाचते नाचते उपराड़ी गांव के रास्ते चलकर बड़कोट मार्केट मंे आ पहुची । माता की डोली के साथ गांव के सैकड़ो ग्रामीण हुजुम के साथ पहुचे हुए थे और आई टी आई रोड़ में एक ज्वैलर्स की दूकान मेे आकर नाचने लगी और बन्द दुकान के सटर पर जोर जोर से चोट मारने लगी ! ग्रामीण यह नही समझ पा रहे थे कि माता की डोली क्या इशारा कर रही है उसके बाद देव पषुआ ने स्पष्ट किया कि चोरी में इस दुकान वाले का हाथ हो सकता है। कुछ देर बाद जैसे ही ज्वैलर्स दुकान का मालिक आया उसके बाद तो डोली का सम्भाल पाना मुश्किल हो गया और गांव के युवकों ने दूकानदार से पुछताछ की , कुछ देर तो माहौल तनाव पूर्ण हो गया , दुकानदार के साथ मारपीट की नौबत तक आ गयी । जैसे ही उसके द्वारा यह बताया गया कि एक चान्दी की पलेट लेकर एक युवक मेरे पास आया था जिसको पुराने बाजार ज्वैलर्स की दूकान में मेरे द्वारा भेजा गया , ग्रामीणो ने उस ज्वैलर्स को पुराने बाजार ले जाना को कहा । उस बीच तनाव को देखते हुए थाना बड़कोट का भारी पुलिस बल भी आ गया और पुलिस ने ज्वैलर्स को कब्जे में लेते हुए पुराने बाजार ले गयी वहां पर ज्वैलर्स को चान्दी की प्लेट न बेचने की जगह उसने ऋषिकेष के आढती को उक्त प्लेट बेचने की बात स्वीकारी। भारी तनाव को देखते हुए पुलिस ने दोनो ज्वैलर्स मालिको को थाने ले आयी जहां पर मां भगवती की डोली भी पहली बार थाने जा पहुची और वहां पर झूमने के बाद विश्राम के लिए पुराने बाजार भगवती मन्दिर जा पहुची । 

(पहली बार थाणे पहुंची माँ भगवती की डोली)
मन्दिर के पुजारी बलदेव सिंह बताते हैं  कि 5 मई को गांव में एक शादी थी उस समयमन्दिर में तिजौरी मौजुद थी और जैसे ही गांव के पास बगीचे के रास्ते में ग्रामीणो को टूटी हालत में तिजौरी देखी तब पता चला कि मां भगवती और बाबा बौखदेवता के मन्दिर से चोरी हुई है। यह उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार हुआ जब  मां भगवती की डोली खुद चोरों की तलाश में निकली है, और जब तक सभी चोर पकडे नहीं जाते तब तक यह तय है कि माँ भगवती मानेगी नहीं। मन्दिर समिति के अध्यक्ष महावीर सिंह और सचिव विनोद राणा ने बताया कि दोनों  मन्दिरों से मूर्ति तो चोरी नही हुई लेकिन तिजौरी व पूजा समान चोरी हुआ है इसके लिए मां की डोली स्वंय बड़कोट आकर ज्वैलर्स की दुकान में पहुची है । अब पुलिस ने इस मामले को अपने हाथो में ले लिया है, ग्रामीण चाहते है कि चोरी का जल्द खुलासा हो ताकि मन्दिर में पुजा अर्चना शुरू की जा सके। पुलिस उपाधीक्षक देवी दत्त चैन्साली ने बताया कि बड़कोट बाजार में भारी भीड़ को देखते हुए पहले तो लग रहा था  कि माँ भगवती की डोली कहींयात्रा पर निकली हुई है परन्तु जैसे ही ज्वैलर्स की दुकान पर भारी भीड़ और हो-हल्ला शुरू हुआ उसे देखते हुए हमने स्थिति का जायजा लेने पुलिस बल भेजा और चोरी की जानकारी मिलते ही  पुलिस  बल भेजकर ज्वैलर्स को थाने ले आयी। 

(बडकोट बाजार में देवतांडव)
यह सबसे ज्यादा कौतुहलपूर्ण रहा कि माँ भगवती की डोली भी पहली बार थाने पहुंची जहाँ चोरी की शिकायत बतौर दर्ज होने के बाद फिर वापस अपने कंसेरू मंदिर में लौटी! यह चमत्कार वास्तव में बेहद अजब गजब है कि डोली और पशुवा ने चोर को ही नहीं पकडवाया बल्कि चोरी की वस्तु बेचने वाले समस्त को पकडवा डाला! हम कहते हैं कि यह लोकतंत्र है और यहाँ कोई भी धर्म जाति व उसके अनुयायी कहीं भी आकर रह सकते हैं अपने कारोबार कर सकते हैं! लेकिन हम भूल जाते हैं कि पहाड़ की मनोदशा मैदानी भू-भाग से बिलकुल विपरीत है! यहाँ के मानुष कभी भूखे नहीं मरते क्योंकि ज्यादात्तर कर्मयोगी हैं! लेकिन हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि मैदानी भू-भाग से यहाँ कारोबार करने आ रहे व्यक्ति का क्या रहन-सहन है व उसका लोक व्यवहार क्या है! हमें उसका आधार व वोटर आईडी दूकान मकान किराए पर देने से पाहे अवश्य अपने पास संभालकर रखना होगा नहीं तो ऐसी घटनाएँ आम होती रहेंगी!
बहरहाल दोनों ज्वेलर्स पुलिस कस्टडी में हैं व उनसे चोरी में शामिल मुख्य अभियुक्तों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है! यह पूर्णत: सम्भव है कि भगवती के ऐसे रौद्र अवतार को देखने के बाद पुलिस ऐसी कोई ढील अपनी ओर से नहीं रखेगी जो कल उन्हीं पर बन आये! उम्मीद है कि पुलिस जल्दी ही कोई बड़ा खुलासा करेगी!
(चौंकिएगा नहीं यह घटना अब से दो साल पहले मई माह की है! यह इसलिए यहाँ दर्ज करनी पड़ी क्योंकि मेरे कई मित्र ऐसे हैं जो देवी देवता भूत प्रेत परी आंछरी सब ढोंग मानते हैं!)

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