इंटरनेशनल किड्स फिल्म फेस्टिवल की धूम..! विश्व की चुनिन्दा बाल फिल्मों का राजधानी देहरादून में प्रदर्शन!
इंटरनेशनल किड्स फिल्म फेस्टिवल की धूम..! विश्व की चुनिन्दा बाल फिल्मों का राजधानी देहरादून में प्रदर्शन!
देहरादून 22 नवम्बर 2018 (हि. डिस्कवर)
पंचमवेद क्रिएशन्स व एलएक्सएल आईडिया के तत्वावधान में विगत 20 नवम्बर से चल रहे इंटरनेशनल किड्स फिल्म फेस्टिवल में विश्व भर की लघु बाल फिल्मों का प्रदर्शन हो रहा है जिसमें कई सरकारी व प्राइवेट स्कूलों के छात्र –छात्राएं अपनी भागीदारी निभा रहे हैं! इस फिल्म फेस्टिवल में जहाँ एक ओर फिल्म सम्बन्धी वर्कशॉप चलाई जा रही है वहीँ दूसरी और आर्टिस्ट मीट सहित एनएसडी की टीम एसएसडी के श्रीश डोभाल व शंकर जुयाल के नेतृत्व में नाट्य प्रक्षिक्षण व नाट्य प्रस्तुतियां देकर विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन कर रहे हैं!
ज्ञात हो कि विश्वभर की चुनिन्दा 100 से अधिक बाल फ़िल्में इस फेस्टिवल में प्रदर्शित होंगी जिनका मकसद पर्यावरण, मानव और जानवरों का आपसी लोक व्यवहार, वन व बाल सुरक्षा, क्रिएटिविटी एंड इनोवेशन, रिश्ते व परिवार सहित विभिन्न तरह के सामाजिक सरोकारों के क्रियान्वयन सम्बन्धी विश्व भर के लोक समाज व संस्कृति पर आधारित विभिन्न मूल्यों का संरक्षण व संवर्धन निहित करना है ताकि बाल अवस्था के ज्ञान विकास में बच्चों को आसानी से अपने लोक की समझ हो और शारीरिक व मानसिक विकास के साथ उन्हें अपने भविष्य निर्माण में शिक्षा की भूमिका का भी ज्ञान हो सके!
मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची शिक्षा विभाग की जॉइंट डायरेक्टर (एसआईटी) आशा पैन्यूली ने कहा कि यह फिल्म फेस्टिवल छात्र-छात्राओं के शैक्षिक व मानसिक विकास के लिए एक बेहत्तर शुरुआत कही जा सकती है क्योंकि ऐसी ज्ञानवर्द्धक फिल्मों से बाल्यकाल से ही छात्र-छात्राएं अपने लोक व्यवहारों व सामाजिक शिष्टाचार सहित पारिवारिक ताने-बाने, पर्यावरणीय सोचों, जल संरक्षण, वन व जीव जंतु जिन्दगी को मानव ब्यवहार में ढलता देख उसका अनुशरण करते हुए इन फिल्मों से सीख लेंगे! उन्होंने सरकारी व प्राइवेट स्कूलों से आये छात्र-छात्राओं का मनोबल बढाते हुए कहा कि वे सब सिर्फ फिल्म देखकर नहीं बल्कि उसके अनुभवों को अपने ज्ञान में उतारकर उस हर अच्छी बात का अनुशरण कर आगे बढ़ें जिस की परिकल्पना को वह अच्छी पहल मानते हैं और यही आगे चलकर उनके उज्जवल भविष्य का निर्माण करेगा!
विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार, पटकथा लेखक, निर्माता निर्देशक मनोज इष्टवाल ने कहा कि जिस तेजी से सामाजिक बदलाव आ रहा है वह कई मायनों में जहाँ लाभप्रद है वहीँ कई जगह चिंताजनक भी कहा जा सकता है क्योंकि छात्रों में लिखने व पढने के प्रति दिनों-दिन कमी आ रही है जो एक अच्छा संकेत नहीं कहा जा सकता! क्योंकि वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सुगमता के चलते बच्चे देखकर व सुनकर समझना पसंद कर रहे हैं व मोबाइल इत्यादि में आवाज़ रिकॉर्ड कर टाइप करने के प्रचलन की तेजी से यह कठिन हो रहा है कि आने वाले कुछ सालों में हम अपनी लिखावट में लिखकर अपने विचारों का आदान प्रदान कर पायेंगे!
उन्होंने कहा कि जहाँ मंच में हम खड़े हैं वहां कल आप लोगों को कैसे पहुंचना है इसकी सीढ़ी आपने खुद तय करनी है ! आप एक दिन में दर्जनों फ़िल्में देख रहे हैं जिनमें जीवन के कई तरह के पल आपको आनन्दित करते हैं तो कई तरह के पल आपको कठिनाईयों का सामना करने की हिम्मत देते हैं अत: अब आप ही तय कीजिये कि आप ज्यों –ज्यों जवानी की दहलीज की ओर कदम रखेंगे आपके सपनों में आपका भविष्य कैसा होगा! सपने देखना अच्छी बात है लेकिन उन्हें सच करने के लिए आपको स्वच्छ मानसिकता के साथ परिश्रम करना होगा अपनी पढ़ाई के प्रति आपका रुझान ही आपके सपनों के संसार को सुखद बना सकता है!
ज्ञात हो कि आगामी 23 नवम्बर तक चलने वाले इस फिल्म फेस्टिवल में अभिनय के क्षेत्र में काम कर रहे कई लोगों ने अपनी भागीदारी निभाई है ! देहरादून व आस-पास के सैकड़ों स्कूली छात्र-छात्राएं इसमें शिरकत कर रहे हैं जिनमें बड़ी संख्या में सरकारी प्राइमरी व मिडिल स्कूलों के छात्र-छात्राएं शामिल हैं!