आसान नहीं होगी व्यापारियों को जीएसटी की फांस।
(मनोज इष्टवाल)
वस्तु एवम सेवाकर (जीएसटी) वास्तव में व्यवसाइयों के कारोबार के सारे तरीके बदल देगा। जो व्यवसायी ये सोचकर मुस्करा रहे हैं कि चोरी रोकने का यह मुफीद तरीका नहीं है तो यह उनकी गलतफहमी होगी क्योंकि इससे कारोबार में पारदर्शिता के साथ टैक्स जमा करने तक पुराने सारे तरीकों में बदलाव आ जायेगा और आपके चार्टेड अकॉउंटेंट के पास भी इसके फॉर्मूले को भेद पाना सम्भव नहीं है।
सबसे बड़ा तरीका इस वस्तु एवम सेवाकर में रिटर्न समय पर न भरने से जुर्माना व टैक्स चोरी करने पर जेल हो सकती है। जीएसटी में सब कुछ ऑनलाइन होने के फलस्वरूप इसमें धांधली की गुंजाइश बेहद कम है क्योंकि समय पर जानकारी न मिलने से कर विभाग को तुरंत इसकी जानकारी स्वत: ही मिल जाएगी जो आपको भारी पड़ सकती है।
इसके कानून भी बेहद कठोर हैं क्योंकि अगर आप सही रिटर्न नहीं भरते या इसे आधा अधूरा भरते हैं तो आप सीधे सीधे 10 हजारी जुर्माना झेलने को तैयार रहे क्योंकि आपको हर माह एक तय सीमावधि पर रिटर्न भरना होता है।
यदि आपकी रिटर्न भरते हुए टैक्स चोरी पकड़ी गई तब आपको 5 बर्ष कारावास में बिताने होंगे। इसके लिए 25 से 50 लाख तक की टैक्स चोरी पर एक बर्ष, 50 लाख से ढाई करोड़ तक तीन बर्ष और ढाई करोड़ से अधिक पर पांच बर्ष की जेल की सजा का प्राविधान है और साथ ही आपके लाइसेंस रद्द करने के भी अधिकार जीएसटी को हैं।
जीएसटी का आपको हर हिसाब किताब खरीद बिक्री का अप टु डेट रखना होगा क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो ये अधूरा माना जायेगा। यह सबकुछ ऑनलाइन होगा इसलिए आपकी हर चोरी पर जीएसटी विभाग की कड़ी नजर होगी।
आपको याद दिला दें कि अरबों की जनसंख्या वाले हमारे देश में मात्र 38 लाख लोग ही जीएसटी के दायरे में आये हैं जिस कारण अब प्रधानमंत्री मोदी ने चार्टेड अकाउंटेंट की ओर नजर टेड़ी कर दी है जिससे यह संभावना प्रबल है कि कई चार्टेड अकाउंटेंट पर भी अब तलवार लटक सकती है और इनकी विजिलेंस जांच गोपनीय तरीके से चल सकती है जिसमें जुर्म के कठोर प्राविधान हैं।