आज दो अभी दो, गैरसैण राजधानी दो! नारे के साथ विधान सभा मुख्य द्वार पर प्रदर्शन।
देहरादून 19 मार्च 2018 (हि. डिस्कवर)
वो जलूस आराघर पुलिस स्टेशन के बाहर से जमा हुआ। जिनके हाथों में पीले झंडे थे। ज्यादात्तर युवा वर्ग। जिनमें राज्य निर्माण आंदोलनकारी सम्मान परिषद के अध्यक्ष रविन्द्र जुगरान अगुवाई करते दिखे जबकि अंतिम कमान आंदोलनकारी रघुवीर सिंह बिष्ट के हाथ में दिखाई दी।
आंदोलनकारियों की इस रैली में भले ही भीड़ ज्यादा नहीं दिखी लेकिन जितनी थी वह पर्याप्त थी क्योंकि इसमें युवावर्ग ज्यादा दिखाई दिया और यह सच है जिस आंदोलन में मातृशक्ति व युवावर्ग आ जाता है वह आंदोलन सफलता की ओर बढता है।
इसमें सबसे बड़ी बात यह दिखाई दी कि सभी आंदोलनकारी एक झंडे के नीचे थे चाहे वह कम्युनिष्ट समर भंडारी रहे हों या फिर रिटायर्ड ब्रिगेडियर पसबोला, कर्नल बलबीर सिंह परमार इत्यादि।
पाराम्परिक वाद्य यंत्रों के साथ यह हुजूम आराघर से जनगीत “ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के, आज बाजी जीत लेंगे लोग मेरे गांव के…! गाते हुए विधान सभा भवन के मुख्यद्वार तक पहुंचे जहां इनके शब्द नारों में बदल गए।
आज दो अभी दो गैरसैण राजधानी दो..नारे के साथ झंडे मुख्यद्वार पर फहराते हुए आंदोलनकारी परिषद के अध्यक्ष रविन्द्र जुगरान ने सरकार से मांग की कि गैरसैण में होने वाले इसी बजट सत्र में सरकार गैरसैण को राजधानी घोषित करे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह नहीं हुआ तब हम मुख्यंन्त्री मंत्री विधायकों व अधिकारियों का घेराव करेंगे जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
आंदोलनकारियों के इस हुजूम ने लगभग 40 मिनट तक विधान सभा के मुख्यद्वार पर जनगीत गाते हुए सरकार को चेताया है। इनमें मुख्यतः योगेश भट्ट, शिव प्रसाद सती, जयदीप सकलानी, सतीश धौलाखण्डी, नवल किशोर गुसाईं, सुशील त्यागी, प्रदीप कुकरेती, लुशुन टोडरिया, रामलाल खंडूरी, मंजू उनियाल शर्मा,बबिता लोहानी, सुनीता नौटियाल इत्यादि शामिल थे।