आखिर पौड़ी पहुंच ही गया पलायन आयोग । लेकिन किसके लिए…? मुख्यमंत्री 6 अप्रैल को करेंगे विधिवत उद्घाटन!
आखिर पौड़ी पहुंच ही गया पलायन आयोग । लेकिन किसके लिए?
(मनोज इष्टवाल)
भारी जन विरोध के बाद देहरादून से आखिर पलायन आयोग पौड़ी पहुंच ही गया है जो कृषि निदेशालय की सूनी पड़ी देहरियों को फिर से आबाद करने को आतुर है।
यूँ हमारी अब एक आदत सी भी हो गयी है कि कोई भला काम भी हो रहा हो तो उसमें ना नुकुर छींटाकशी किये बिना तबियत से दिल में चैन नहीं पड़ता और हम अपनी भड़ास उतारने के लिए सोशल साइट पर चौबीस घण्टे मौजूद रहते हैं।
(फोटो साभार- विनय केडी)
इस फैसले को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की तत्परता का स्वागत इसलिए भी होना चाहिए क्योंकि उन्होंने जनभावनाओं का आदर करते हुए पलायन आयोग को देहरादून से पहाड़ में शिफ्ट करने में कोई कोताही नहीं बरती है।
वहीं बम्पर भर्ती प्रकरण का विज्ञापन भले ही पलायन आयोग की गले की हड्डी बन गया हो जिसमें विज्ञापानानुसार रूपये 40 हजार मानदेय पर हर जिले में आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थानों से डिग्री डिप्लोमा लिए अभ्यर्थी तलाशे जा रहे हैं जो रिवर्स माइग्रेशन पर काम कर सकेंगे।
यह विज्ञापन अपने आप में इसलिए हास्यास्पद लगता है क्योंकि जहां एक लाख से डेढ़ लाख पाने वाला डॉक्टर व 85 हजार रुपया मासिक वेतन लेने वाला अध्यापक नहीं पहाड़ चढ़ना चाहता है वहां भला 20 से 50 लाख तक अपने डिग्री डिप्लोमा में खर्च करने वाला आईआईटी या आईआईएम क्योंकर 40 हजार के वेतन में काम करने को तैयार होगा। यहां समझ यह नहीं आता कि रिवर्स माइग्रेशन के लिए आखिर पलायन आयोग ने ऐसा क्या रोड़ मैप तैयार कर लिया है जो आप इसमें सिर्फ क्वालीफाईङ इंजीनियर ही ढूंढ रहे हैं। क्या पहाड़ के लिए पहाड़ जैसे गरीब बुद्धिजीवी के लिए पलायन आयोग ने कोई पद सृजित नहीं किया है। मुझे लगता ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ऐसी बातों को बेहद संजीदगी से देखना चाहिए ताकि पूरे उत्तराखण्ड में सरकार साकारात्मक सन्देश देने में कामयाब हो सके।
रिवर्स माइग्रेशन के लिये बने पलायन आयोग से मेरे हिसाब से उन आर्थिक सम्पन्न लोगों का कोई वास्ता नहीं जिन्होंने लाखों रुपये खर्च करके अपने बच्चों को आईआईटी या आईआईएम करवाया है। रिवर्स माइग्रेशन पर अगर कोई विचार कर सकता है तो वह प्रदेश का मिडिल क्लास या फिर निम्न क्लास ही कर सकता है लेकिन दुर्भाग्य देखिये उसके बच्चों के लिए आपके पास पलायन आयोग में भी रोजगार नहीं दिखता जैसा कि पूर्व में निकाले गए विज्ञापन बता रहे हैं।
बहरहाल आगामी 6 अप्रैल को प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत इस भवन का 12:30 बजे लोकार्पण करेंगे! पलायन आयोग के नीति-नियंता इस आयोग को क्या दशा और दिशा देंगे यह दूर की कौड़ी है लेकिन पहाड़ में पहाड़ को बसाने के लिए यह पहल त्रिवेंद्र सरकार द्वारा सराहनीय कही जा सकती है।