आईकान आशीष डंगवाल के नाम एक खत..।

(संगीता जोशी की कलम से)
डियर आशीष,,,क्या लिखूं तुम पर समझ नहीं आता कहाँ से शुरु करु मेरे शब्द बौने हैं तुम्हारें विशाल व्यक्तित्व के समक्ष ..
कोई कैसे इतने से वक्त में दिल में उतर जाता है यार ,और कोई कैसे इतना प्यार लुटा जाता है ,कुछ लोग होते हैं दुनियाँ से अलग जैसे कि तुम ..।

आजकल हर सोशल साइट पे तुम छाये हो रिकॉर्ड मैसेज हजारों पोस्ट तुम पे लिखी जा चुकी हैं पता नहीं इस भीड में मेरा खत तुम तक पहुचेगा भी या नहीं,,कल Red fm पर तुम्हारा इंटरव्यू देखा तो रोक नहीं पायी लिखने से..!
नाउम्मीदी के इस दौर में कैसी अखंड जौत जला दी तुमने..
कल तुम्हें इंटरव्यू में जब सुन रही थी तो समझी कोई ऐसे ही नहीं दिलों में राज करता ,,तुम्हारी नेकदिली दिखायी दी थी मुझे ,,तुम्हारी आँखों में देख पायी मैं बूढों की आह ,,खुद को भूलकर दूसरों के हरवक्त काम आने वाले को सलाम ,,मैं देख पायी थी तुम्हें आंखों में रात काली करते हुए ,,मैं देख पायी दूसरों दुखयारों के दुख में तुम्हें सुबकियां भरते हुए और मैं सुन पायी तुम्हारी आत्मा से कुछ कर गुजर जाने का फैसला,,मैं समझ पायी हूँ तुम्हारे दिल कहीं किसी के लिए जीने का तो कहीं मर जाने का हौसला,,,!
वो एक मासूम सा लडका बुजुर्गों की दुवा जैसा
बडी भोला बडा प्यारा वो बच्चों की खता..।
बस कोई फरियाद पहुँचा दे तुम्हारे कानों में ,,,उम्मीद करती हूँ ये ईमानदारी ये मासूमियत में दिन दूनी रात चौगुनी होकर बढती जाए,,स्टारडम/सोहरत का नशा मत चढने देना खुद पर कभी भी,, यूँ ही रहो युगों युगों तक ,लाखों की प्रेरणा बन चुके हो तुम,,पूरा शिक्षक समाज और इंसानियत नाज कर सके हमेशा यूं ही!
यूँ ही प्रेरणास्रोत बने रहों,,अपने क्षेत्र में ध्रुवतारे के जैसे चमको यही मंगलकामनाए तुम्हारे भविष्य के लिए…..
………..लाखों की भीड में तुम्हारी एक प्रशसंक
(नोट,,,छोटे हो मुझसे काफी तो संबोधन में आप कह ही नहीं पायी)
..