असवालस्यूं क्षेत्र में बेखौफ लुटेरों का आतंक।

असवालस्यूं क्षेत्र में बेखौफ लुटेरों का आतंक।

(मनोधर नैनवाल की कलम से)
विगत चार-पांच दिनों से पौड़ी गढ़वाल के असवालस्यूं क्षेत्र में लुटेरों का आतंक व्याप्त है। लुटेरों ने 3 दिन के भीतर असवालस्यूं के तीन अलग-अलग गांवों में 5 से अधिक घरों में लूटपाट कर सनसनी फैला दी है। यह लुटेरे इतने बेखौफ हैं कि जिस भी घर को अपना निशाना बनाते हैं वहां बड़े इत्मीनान से खाना इत्यादि पकाकर और खाकर पूरे घर की एक-एक चीज को उलट- पलट कर लूट की वारदात को अंजाम दे रहे हैं। लुटेरों का यह गिरोह प्राय: ऐसे घरों को अपना निशाना बना रहा है जो गांव में किसी एक किनारे पर अथवा एकांत में बने हुए हैं। घटनास्थल पर लुटेरों द्वारा छोड़े गए जूठे बर्तनों और कतिपय स्थानों पर छोड़े गए वस्त्रों से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि लुटेरे संख्या में 3 अथवा चार हो सकते हैं। जिस प्रकार क्षेत्र के दूरस्थ एवं दुर्गम गांवों को लुटेरों द्वारा अपना निशाना बनाया जा रहा है उससे इनके साथ किसी स्थानीय व्यक्ति की संलिप्तता से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।

दिनांक 25, 26 एवं तारीख को रात के समय लुटेरों द्वारा ग्राम नैल में संजय कुमार (अनुसूचित जाति), देवेन्द्र चमोली एवं सुरेशानंद नैनवाल के घरों में ताले तोड़कर चोरी की वारदात को अंजाम दिया गया। संजय कुमार के घर से लगभग एक लाख से अधिक मूल्य के जेवरात, शिक्षक देवेंद्र चमोली के घर से रुपए 4000 की नकद धनराशि चुरा ली गई। तीनों घरों को पूरी तरह खंगाला गया है। इसी अवधि में लुटेरों द्वारा ग्राम नगर मैं एक घर में तथा ग्राम मवाण में पूर्व जिला पंचायत सदस्य महेंद्र कुमार के घर में भी चोरी की वारदात को अंजाम दिया गया है। सभी घरों से चोरों द्वारा नकदी एवं जेवरात की चोरी की गई है।
इससे यह स्पष्ट होता है कि यह चोरों का कोई पेशेवर गिरोह है जो बड़े ही सुनियोजित ढंग से चोरी की घटनाओं को अंजाम दे रहा है। लुटेरों द्वारा बड़े ही पेशेवर तरीके से घरों के ताले तोड़कर बेखौफ होकर लूटपाट की घटना को अंजाम दिया जा रहा है।
इन ताबड़तोड़ घटनाओं से असवालस्यूं क्षेत्र में आतंक का माहौल व्याप्त हो गया है। पलायन की मार से पीड़ित गांवों में आज नाम मात्र के ही लोग बचे हैं वे भी बड़े बुजुर्ग हैं। ऐसे में चोरों के हौसले बुलंद हैं उन्हें पता है कि गांव में कोई भी उनका प्रतिरोध करने वाला नहीं बचा है। फलस्वरूप वे बेखौफ होकर गांवों में घुसकर रातों रात कई सारी वारदातों को अंजाम देने में जुटे हुए हैं। स्थानीय पटवारी से संपर्क करने पर किसी भी प्रकार की कोई सहायता प्राप्त नहीं हो पा रही है। और तो और पटवारी द्वारा वारदात स्थल का भ्रमण तक नहीं किया जा रहा है।
इससे लुटेरों के हौसले और अधिक बुलंद हो रहे हैं ऐसे में यह भी संभावना है कि निकट भविष्य में वे गांवों में रह रहे बुजुर्गों को अपना शिकार बना कर जघन्य अपराधों को अंजाम दे सकते हैं। इन घटनाओं से क्षेत्र के लोगों में असुरक्षा का भाव पैदा हो गया है तथा प्रशासन की अनदेखी इस असुरक्षा को और भी अधिक बढ़ा रही है। यही स्थिति आगे भी जारी रही तो बहुत जल्द गांव में बचे खुचे लोग भी यहां से भाग जाने को विवश होंगे।

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