अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश पहाड़ विरोधी- महेश नेगी

देहरादून 30 जून (हि. डिस्कवर)
अभी सरकार के जुम्मा-जुम्मा 100 दिन भी नहीं हुए हैं कि बहुत दिनों से शांत नेताओं में नौकरशाही के विरुद्ध जो आक्रोश दबा हुआ था अब बिस्फोट के रूप में आने लगा है. यों तो अपर मुख्य सचिव की तैनाती के समय से ही पहाड़ी जन मानस को लगने लगा था कि इस अफसर के रहते पहाड़ का भला होना संभव नहीं लेकिन विगत दिवस भाजपा विधायक महेश नेगी से हुई अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश की तीखी झड़प ने साबित कर दिया है कि पहाड़ के विधायक अपनी इस पूर्ण बहुमत की सरकार में अफसरशाही से कितने परेशान हो रखे हैं.

सीधे नागपुर कनेक्शन वाले ऐसे कई अफसर वर्तमान सरकार में हैं जिनके आगे भरी भरकम सरकार बेहद बौनी नजर आ रही है. चाहे उच्च स्तर पर स्थानान्तरण हों या महत्वपूर्ण विभाग ..हर जगह इन्हीं की दखल काम कर रही है.
सूत्रों का कहना है कि कई विभागों में तो इन्होने ऐसे स्थानान्तरण कर डाले हैं कि उस विभाग सम्बन्धी फाइल ढूँढने में भी महीनों लग जायेंगे क्योंकि वहां अपर सचिव से लेकर सेक्शन अफसर तक ही नहीं बल्कि डीलिंग बाबू तक इन्हीं नौकरशाहों की कार गुजारी से हटा दिए गये हैं. और तो और पहाड़ी अफसरों से भी परहेज की जा रही है.

अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश जहाँ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विश्वसनीय कहे जाते हैं वहीँ उनके रुत्वे में बढौतरी होते ही विधायक मंत्रियों को अपने क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. आलम यह है कि दबे सुर में न सिर्फ विधायकों में बल्कि मंत्री मंडल में भी काफी रोष ब्याप्त है और हो न हो यह रोष कुछ ही महीनों में बाहर आ जाय.
कुमाऊं मंडल के द्वाराहाट विधायक महेश नेगी इसके सबसे बड़े उदाहरण है कि जब वे विगत दिन अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को लेकर चौथे तक पर गए थे तब अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने उन्हें बेहद हलके में लिया और बहस होने लगी. बहस गर्मागर्मी में बदल गयी जिसके बाद महेश शर्मा को यह बात सार्वजनिक करनी पड़ी कि ओम प्रकाश पहाड़ विरोधी हैं.
अब ऐसे में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत क्या निर्णय लेंगे यह सोचना बाकी है क्योंकि अभी तक प्राप्त आंकड़ों के हिसाब से अगर देखा जाय तो सरकार की कार्यशैली जनता के बीच बेहद खराब है और आगामी बर्ष में होने वाले नगर निगम के चुनाव में सरकार बैकफुट पर जा सकती है. ऐसे में ये नौकरशाह यूँहीं बेलगाम रहे तो 2019 के लोक सभा चुनाव में भाजपा बड़ा नुकसान उठा सकती है.

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