अंतर्राष्ट्रीय सीमा के नजदीक होने से कहीं भारी न पड़े चीन का उत्तराखंड में निवेश!

अंतर्राष्ट्रीय सीमा के नजदीक होने से कहीं भारी न पड़े चीन का उत्तराखंड में निवेश!

मनोज इष्टवाल की कलम से-
सिडकुल के प्रबंध निदेशक राजेश कुमार की यह पहल वर्तमान में जहाँ पलायन और बेरोजगारी रोकने के लिए एक बड़ा माध्यम दिखाई दे रहा है वहीँ अन्तराष्ट्रीय सीमा के आर पार मैकमोहन लाइन पर चीन भारत के रिश्तों की गर्माहट का भी प्रदेश को ध्यान रखना होगा और आने वाले समय में उत्तराखंड के इस बेहद सेंसटिव जोन में चीनी घूसपैट पर भी नजर रखनी होगी.
चीन के लुओयांग चैम्बर्स ऑफ़ कामर्स के प्रतिनिधियों का एक दल आज संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पन्त से उधमसिंह नगर क्षेत्र या कुमाऊ के तराई सिडकुल में जिस पूँजी निवेश को लेकर आया है वह प्रदेश के लिए फायदेमंद तो दिखता है लेकिन 1971 के युद्ध में हिंदी चीनी भाई भाई का नारा देने वाला चीन कितना विश्वसनीय है यह हम सभी जानते हैं. कहीं इस निवेश की आड़ में चीन के व्यवसायियों में शामिल वहां की खुफिया टीम मैकमोहन रेखा के इस पार की खुफिया टोह लेने की फिराक में न हो! यह अंदेशा अभी से लगाया जाना चाहिए और बेहद सतर्कता के साथ चीनी कम्पनियों के निवेश को प्रदेश में दाखिल करने की अनुमति देनी चाहिए.

उम्मीद तो यह जरुर की जानी चाहिए कि प्रदेश में निवेश से पूर्व देश के खुफिया तंत्र, गृह विभाग व रक्षा मंत्रालय के हर अंग से इस निवेश की चौकसी हो और इसे उत्तराखंड के तराई तक ही सीमित रखा जाना चाहिए लेकिन इस बात का भी अंदेशा हो सकता है कि आगामी समय में कहीं ऐसा न हो कि धन बल का लालच किसी मंत्री विधायक व अफसरशाही पर भारी न पड़े जिसकी पूरे देश को कीमत चुकानी पड़े .
एक ओर सितारगंज के विधायक सौरभ बहुगुणा ने चाइनीज प्रतिनिधिमण्डल के उद्योग स्थापना की इच्छा का स्वागत करते हुए खुश दिखाई दे रहे हैं कि यहाँ चीन की पूँजी निवेश से हजारों बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा वहीँ सिडकुल के प्रबंध निदेशक राजेश कुमार के अनुसार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत व वित्तमंत्री प्रकाश पन्त भी इस तरह चीन के लुओयांग चैम्बर्स ऑफ़ कामर्स के पूँजी निवेश पर खुश हैं और अनुमान है कि यह निवेश 5000 करोड़ से अधिक का होगा. क्योंकि इस संगठन के निदेशक मिस्टर झाऊ शिया ओकई द्वारा सितारगंज में लगाये गये 300 करोड़ की परियोजना पर आभार भी जता चुके हैं.
बहरहाल चीन की विश्वसनीयता पर हर बार देश ही नहीं दुनिया भर के कई देश प्रश्नचिन्ह्न लगाते आये हैं. अब प्रदेश में इस तरह चीन द्वारा अपनी रूचि जताना अपने आप में एक शक पैदा करता है. मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री को ऐसे निवेश पर बेहद सतर्कता के साथ कदम उठाने की आवश्यकता है क्योंकि हम एक ऐसे दोस्त से हाथ मिला रहे हैं जिसकी न दोस्ती भली न दुश्मनी!

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