अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ‘नई पहल नई सोच’ संस्था ने किया उत्तराखंड की संघर्षरत महिलाओं का सम्मान।

देहरादून 8 मार्च 2020 (हि. डिस्कवर)।

*पहाड़ की महिलाओं का योगदान देश-समाज को गौरवान्वित करने वाला है-माता मंगला जी

“नई पहल नई सोच” द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में अपने दम पर अनूठा काम करने वाली पांच महिलाओं को सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाली महिलाओं में एसिड पीड़ितों के लिए काम करने वाली डॉ प्रतिभा नैथानी, अंधे बच्चों को उत्तरकाशी के नौगांव में शिक्षा देने वाली विजय लक्ष्मी, स्वयं दिव्यांग होकर पिछले 20 बर्षों में 25 हजार से भी अधिक दिव्यांगों को चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने वाली सुश्री मधु मैखुरी, उत्तराखण्ड में राजुला मालूशाही का जागर गाने वाली जागर गायिका बागेश्वर की श्रीमती कमला देवी तथा होम स्टे के माध्यम से आदि कैलाश व कैलाश मानसरोवर यात्रा के मार्ग के गांव पिथौरागढ़ के नबी गांव में होम स्टे के माध्यम से ग्रामीणों के लिए आर्थिकी के नए रास्ते शुरू करने वाली ग्राम प्रधान श्रीमती सनम देवी नबियाल सम्मानित की गई।

कार्यक्रम का शुभारम्भ हंस फाउंडेशन की माता मंगला जी, भोले जी महाराज, सुप्रसिद्ध गायक नरेंद्र सिंह नेगी व बदरीकेदार मन्दिर समिति के अध्यक्ष शिव प्रसाद ममगाई व अधिवक्ता संजय दरमोड़ा द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।

यह आयोजन “नई पहल नई सोच” के विचार को क्रियान्वित करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट सॉलिसिटर अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोडा की पहल पर किया गया है। यह कार्यक्रम विगत बर्ष से निरंतर आयोजित किया जा रहा है जिसमें उत्तराखण्ड में विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता है।

नई पहल नई सोच के मंच पर सम्मानित उत्तराखंड की मातृ शक्ति का अभिवादन करते हुए समाज सेवी माताश्री मंगला जी ने कहां कि मेरे लिए आज का दिन बहुत ही गर्व का दिन हैं कि आज इस मंच पर हमें पहाड़ की उन महिला शख्सियतों को सम्मानित करने का मौका मिला है। जो सही मायने में पहाड़ की सोच,पहाड़ की विचारधारा और पहाड़ के संघर्षों को खुद में स्थापित करते हुए। कई महिलाओं के लिए प्रेरक बनी है। मैं संजय दरमोड़ा जी को बधाई देना चाहूंगी कि आपने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके ऐसे महिलाओं का सम्मान करने का हमें मौका दिया। जो वाकई में पहाड़ के परिवेश को नये स्वरूप में विश्व पटल पर विस्थापित कर रही है। मैं शैलश्री सम्मान से सम्मानित मधु मैखुरी,कमला देवी,विजयलक्ष्मी जी,देवी श्री सम्मान से सम्मानित सनम देवी नबियाल और प्रतिभा नैथानी जी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देती हूं की आप सभी पहाड़ के पटल पर अपने-अपने क्षेत्रों में नयी भूमिका के साथ आगे बढ़ रही है।
माताश्री मंगला जी ने इस मौके पर कहा की हम देश भर में सामाजिक स्तर पर विश्व की उन तमाम महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जो शोषित, तिरस्कृत और समाज में अपने ही लोगों द्वारा ठुकरा दी गई है। हम उन विधवा महिलाओं के लिए एक मजबूत नींव स्थापित कर रहे हैं। जो बहुत कम उम्र में अंधेरे की आगोश में चली गई या उन्हें धकेल दिया गया।

माताश्री मंगला जी अपने सम्बोधन के दौरान भावुक होते कहा कि मैं जब देखती हूँ कि पहाड़ के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में बसे गांव की महिलाएं अपने खेत-खलिहान और पशुओं को खुद की गंभीर से गंभीर बीमारी में भी छोड़कर अपने इलाज के लिए डाक्टर के पास नहीं जाती, क्योंकि इसके लिए उन्हें कई किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है। आप उनकी सोच का दायरा देखिए कि वह अपने पशुओं को अकेले छोड़ेंगे तो उन्हें जंगली जानवरों खा जाएंगे, खेतों को जंगली जानवर नुकसान पहुंचा देंगे। इसी सोच के साथ हंस फाउंडेशन हमेशा खड़ा था और खड़ा रहेगा। मैं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर दुनिया भर की महिलाओं को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देती हूं।

बदरीकेदार मन्दिर समिति के अध्यक्ष शिव प्रसाद ममगाई ने
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राज्य की महिलाओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मैं नई पहल नई सोच के संस्थापक संजय दरमोड़ा जी की सोच की सराहना करता हूँ कि वह पहाड़ के अंतिम छोर पर सराहनीय कार्य कर रही उन महिलाओं को इस मंच तक लेकर आए है जो हम सब के लिए प्रेरक है, और यह हम सब के लिए और भी सम्मान की बात है कि विश्व सेवा पटल पर उत्तराखंड का नाम रोशन कर रही पूज्य माताश्री मंगला जी इन महिलाओं को सम्मानित कर रही है। इस बेहतर आयोजन के लिए मैं दरमोड़ा जी बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। साथ ही भगवान बदरी विशाल जी से राज्य की जनता के जीवन में सुख-शांति-संतुष्टि की कामना करते है।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर पहुंचे गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी समारोह में उपस्थित महिलाओं को महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहां कि हमारी बेटी- ब्यारियों के लिए आज सम्मान की बात हैं कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर उनका सम्मान हो रहा है। उनके संघर्षों का सम्मान हो रहा,उनकी गाथाओं का सम्मान हो रहा है। इसके लिए नई पहल नई सोच की पूरी टीम और भूला संजय दरमोड़ा बधाई के पात्र है। मैं पहाड़ की नारी और पूरी दुनिया की महिलाओं को इस दिवस पर प्रणाम करता हूं।

इस मौके पर उत्तराखंड की महिला के संघर्ष पर बनी लघु फ़िल्म “ऊँमा बोल दियां” की स्क्रीनिंग से हुई। इस लघु फ़िल्म के निर्देशक कविलाश नेगी ने बताया कि यह फ़िल्म सुप्रसिद्ध साहित्यकार बल्लभ डोभाल की कहानी “कही अनकही” पर आधारित है जिसकी शूटिंग ट्रायबल बॉय फ़िल्म के बैनर तले देहरादून व उसके आस-पास के गांवों में हुई है। इस सम्बंध में सुप्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने जानकारी देते हुए बताया है कि इस कहानी को पढ़कर वे अपने शब्दों को रोक नहीं पाए व इस कहानी को आधार बनाकर उन्होंने एक गीत “हे दिल्ली वला द्यूरा, तिन भैजी भी देखिनी कभी आंदा-जांदा” की संरचना की।

इस मौके पर कार्यक्रम में पधारे प्रबुद्धजनों का आभार प्रकट करते हुए नई पहल नई सोच के संस्थापक और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा ने कहां की मैं आज बहुत भावुक हूं की माताश्री मंगला जी एवं श्री भोले जी महाराज जी जैसे पूज्यनीय संत महात्माओं का आशीर्वाद हमें मिला है। मैं मंच पर उपस्थित बदरीकेदार मन्दिर समिति के अध्यक्ष शिव प्रसाद ममगाई जी, गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी जी और सभागार में मौजूद मातृ शक्ति को कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं कि आप सब हमें अपना सहयोग और आशीर्वाद हमें प्रदान किया।

श्री दरमोड़ा ने कहा कि आज हमने आप सभी के सहयोग एवं नई पहल नई सोच के माध्यम से जिन पहाड़ की संघर्षरत महिला शख्सियतों का सम्मान किया है। मैं आप सभी को भी कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं। इस वर्ष 2020 का शैलश्री सम्मान सुश्री मधु मैखुरी जी को दिव्यांगजनों को सेवा प्रदान करने के लिए किया गया है। बचपन से पोलियोग्रस्त मधु जी अंग्रेजी साहित्य से परास्नातक करने के पश्चात ग्रामीण बैंक में प्रोवेशन अधिकारी के पद पर कार्य करते हुए दिव्यांग जनों की सेवा में जुटी हैं। वर्ष 2020 का देवी श्री सम्मान श्रीमती सनम देवी नबियाल को प्रदान किया गया है। जो ग्राम पंचायत नाबि जिला पिथोरागढ़ को रोजगार सृजन के लिए पूरी ग्राम पंचायत में उनके द्वारा होमस्टे के सफल संचालन के लिए समर्पित किया गया है। सनम देवी जी अपने गाँव में सभी ग्रामवासियों के साथ मिलकर विश्वास न तोड़ने का संकल्प लेकर होमस्टे की शुरुआत की है। जिसके माध्यम से आप हजारों महिलाओं को जीवन यापन के मार्ग पर लेकर जा रही है।

इसी तरह वर्ष 2020 का शैलश्री सम्मान श्रीमती विजयलक्ष्मी जी प्रदान किय गया है। जो सुदूरवर्ती पर्वतीय अंचल में दृष्टिबाधित बच्चों के लिए अपने दम पर आवासीय विद्यालय का संचालन कर सेवा के लिए समर्पित है। आपके द्वारा दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र में दिव्यांगजन खासतौर पर दृष्टिबाधित बच्चों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में जो काम किया जा रहा है वह अत्यंत सराहनीय है।

‘नई पहल नई सोच’ वर्ष 2020 का शैलश्री सम्मान श्रीमती कमला देवी ग्राम लखणी, गरुड़ जनपद बागेश्वर को उनके लोकगायक विशेष रूप से ‘राजुला मालूशाही ‘ के जागर गायन के लिए समर्पित किया गया है। लोकगायिका कमलादेवी चांचड़ी, झोड़ा, छपेली, भकनोल और हुड़क्या बौल गाती हैं लेकिन ‘राजुला मालूशाही’ और ‘गंगनाथ’ की जागर में उन्हें महारथ हासिल है। राजुला मालूशाही जागर गायन की उन्हें अकेली गायिका माना जाता है। इस जागर में महिलाएं भाग लगाने ( कोरस गाने ) के लिए भी नहीं मिलती हैं। लेकिन आपने इस जागर को अपने पिता बिरराम जी से सीखकर जीवित रखा है,और वर्ष 2020 का देवी श्री सम्मान सुश्री प्रतिभा नैथानी को उनकी समाज सेवा के लिए प्रदान किया गया है। मुम्बई के सेंट जिवियर्स कालेज में राजनीति शास्त्र की प्रोफेसर सुश्री प्रतिभा नैथानी एसिड अटैक से पीड़ित महिलाओं के लिए ‘सेवा द फेस ‘परियोजना शुरू कर एसिड अटैक पीड़िताओं की मुफ्त सर्जरी करवाती हैं। आपने ही टेलीविजन पर दिखाई जाने वाली हिंसा, अश्लीलता रोकने के लिए न्यायालय में जनहित याचिका लगाकर नकेल कसने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बच्चों के लिए खतरनाक विज्ञापनों पर भी आपकी ही पहल से रोक लग।
इस मौके पर नई पहल नई सोच के तत्वावधान में आयोजित महिला सम्मान समरोह में देश-विदेश के बड़ी संख्या में समाज सेवी,लेखक-पत्रकार और लोक कलाकार मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन गढ़वाली लेखक-कवि गणेश खुगशाल गणी ने किया।

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